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डॉ० रजनी श्रीवास्तव के संरक्षण में व्याख्यान का आयोजन किया गया
ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय
लखनऊ। लखनऊ विश्वविधालय के दर्शनशास्त्र विभाग के द्वारा सैटरडे सेमिनार की विशेष श्रृंखला में विभागाध्यक्षा डॉ० रजनी श्रीवास्तव के संरक्षण में एक व्याख्यान का आयोजन किया गया । इस व्याख्यान में दर्शनशास्त्र विभाग के शोध छात्र गौरव मिश्र ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया । उनके द्वारा प्रस्तुत व्याख्यान का विषय Examining Suicide as the only true philosophical problem : Revisiting the Myth of Sisyphus and Camus’ Absurdity था। उन्होंने अपने व्याख्यान का प्रारंभ एक कथन,’ there is one but truly philosophical problem that is suicide’ के साथ किया। किस प्रकार से दर्शनिकों ने अपने विचारों में suicide की समस्या को व्यक्त किया इसकी भी चर्चा की। उन्होंने अपने व्याख्यान का आधार कैमू के द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘ The myth of Sisyphus’ को बनाया। उन्होंने अपने व्याख्यान में राजा सिसीफस से जुड़े हुए एक लोककथा के साथ किया और उस लोककथा से जुड़े हुए कामू के विचारों को भी व्यक्त किया। कामू के द्वारा दिए गए विचार ‘theory of absurdity’ को अपने शब्दों में समझाने का प्रयास किया। किस प्रकार से कामू suicide को चार भागों में विभाजित करते हुए अपने निष्कर्ष को व्यक्त करते हैं, उनकी भी चर्चा भी की गई। कामू कैसे suicide को कैसे अर्थहीन सत्यापित करते हुए इससे निकलने के रास्ते को बताते है, उसकी भी चर्चा की। सेमिनार में दर्शनशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्षा डॉ० रजनी श्रीवास्तव के साथ- साथ विभाग के प्राचार्य डॉ. राजेश्वर प्रसाद यादव ,डॉ० प्रशांत शुक्ला एवम डॉ. ममता सिंह उपस्थित रहे। सेमिनार में विभाग के शोध-छात्रों के साथ स्नातक एवं परास्नातक के साथ उपस्थित रहे। सेमिनार के कोऑर्डिनेटर विभाग के शोध छात्र विनीत कुमार एवं सेमिनार की रिपोर्ट लिखने का कार्य अनुज कुमार मिश्रा तथा शीतल शर्मा के द्वारा किया गया। सेमिनार के सफलता पूर्वक समापन में विभाग के अन्य शोध छात्रों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।