कोरोना की जंग में श्रमिकों के चेहरों पर उदासियां

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अयोध्या : अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस के मौके पर कोरोना संक्रमण व लाकडाउन के कारण श्रमिकों के चेहरे का तेज फीका रहा। हमारे संवाददाता सुरेंद्र कुमार “गौतम”के मुताबिक काम न मिलने के कारण अधिकतर श्रमिक घरों में ही कैद रहने को मजबूर रहे। कहीं-कहीं तक कुछ श्रमिक काम करते भी दिखाई पड़े। वामदलों, समाजवादी जनता पार्टी समेत अन्य दलों व संगठनों ने कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए घरों की सीमाओं में गोष्ठियां कर शिकागो के शहीद श्रमिकों को श्रद्धांजलि दी तथा श्रमिक अधिकारों में की गई कटौती की केंद्र सरकार की नीति की आलोचना की।
उत्तर प्रदेश खेत मजदूर यूनियन के तत्वावधान में अयोध्या के रामघाट खाले का पुरवा में जिलाध्यक्ष अखिलेश चतुर्वेदी के आवास पर श्रमिक गोष्ठी की गई। गोष्ठी में मौजूद लोगों ने पर्याप्त दूरी बनाए रखी। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सहायक जिला सचिव संपूर्णानंद बागी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि कोरोना संकट का बहाना लेकर श्रमिक कानून में बड़ा बदलाव कर श्रमिकों के अधिकारों में कटौती कर दी गई। श्रमिकों ने अपना बलिदान कर आठ घंटे काम के अधिकार को हासिल किया था, नए कानून में यह सीमा हटा नौकरी अब ठेके पर कर दी गई। श्रमिक अपने अधिकारों को हासिल करने के लिए किसी फोरम का इस्तेमाल भी न ही कर सकता। अखिलेश चतुर्वेदी ने नए कानून को समाप्त करने की मांग की। रामजीराम यादव, राजकपूर, पवित्र साहनी, सुभाष पटवा, ज्ञान प्रकाश द्विवेदी, रामअचल कश्यप, अजय साहू व अन्य ने भी गोष्ठी में विचार रखे।

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