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4 अप्रैल – श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई
नमो राघवाय 🙏
मोरें प्रौढ़ तनय सम ज्ञानी ।
बालक सुत सम दास अमानी ।।
जनहि मोर बल निज बल ताही ।
दुहु कहँ काम क्रोध रिपु आही ।
यह बिचारि पंडित मोहि भजहीं ।
पाएहुँ ग्यान भगति नहिं तजहीं ।।
( अरण्यकांड 42/4-5)
राम राम 🙏🙏
राम जी को सीता जी के बिरह में देखकर नारद जी पंपा सरोवर के पास उनसे मिलने जाते हैं । नारद जी कहते हैं कि आपने मुझे विवाह क्यू नहीं करने दिया ।राम जी कहते हैं कि मुझ पर जो आश्रित रहता है उसकी मैं हर तरह से देखभाल करता हूँ । ज्ञानी लोग मेरे प्रौढ़ पुत्र के समान हैं और दास जन मेरे बालक व पुत्र के समान हैं । दास को तो मेरा बल होता है जबकि ज्ञानी को खुद का बल होता है परंतु काम क्रोध आदि शत्रु दोनों के लिए होते हैं ।ऐसा विचार कर बुद्धिमान लोग मेरा भजन करते हैं तथा ज्ञान मिल जाने पर भी भक्ति नहीं छोड़ते हैं ।
हमें चाहे कितना भी ज्ञान हो जाए , चाहे कितना भी हम बड़े व बलवान हो जायँ परंतु राम जी के ही होके रहें जिससे राम जी की दृष्टि हम पर पड़ती रहें , राम कृपा हमें मिलती रहें अस्तु जय जय राम, जय जय जय राम 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी लखनऊ