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*पत्रकार गोरखपुर गोला *
गोरखपुर में मुख्यमंत्री योगी की सख्ती के बाद जिला प्रशासन ने कोरोना संक्रमितों को घर से अस्पताल पहुंचाने या एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल पहुंचाने वाली एंबुलेंस का किराया तय कर दिया है। डीएम के. विजयेंद्र पांडियन ने चेताया है कि तय दर से अधिक किराया वसूलने वाले एंबुलेंस मालिकों व चालकों पर महामारी एक्ट समेत विभिन्न धाराओं में कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि इसकी निगरानी कराई जाएगी और समय-समय पर कोविड मरीज या उनका परिजन बन अफसर यह चेक करेंगे कि कोई एंबुलेंस चालक अधिक किराया न मांगे।
कोरोना संक्रमित मरीजों को उनके आवास या अस्पताल से रेफरल अस्पताल तक ले जाने में एंबुलेंस संचालकों द्वारा मनमाना किराया वसूल करने की शिकायत मिल रही थीइसे ध्यान में रखते हुए ही एंबुलेंस का किराया तय कर दिया गया है। यदि निर्धारित दर से कोई अधिक शुल्क लेता है तो इसकी शिकायतकर सकते हैं।
कुछ इस तरह होगा किराया
छोटी एंबुलेंस मारुति वैन/टवेरा/बोलेरो शहर में 1500 रुपये ऑक्सीजन के साथ बिना ऑक्सीजन के 1000 रुपये तथा शहर से बाहर जाने पर 15 रुपये प्रतिकिमी के हिसाब से।
एंबुलेंस वेंटिलेटर व अटेंडेंट के साथ बोलेरो/टवेरा शहर में 3000 रुपये और शहर के बाहर जाने पर 15 रुपये प्रतिकिमी के हिसाब से ऑक्सीजन के साथ।
लाइफ सपोर्ट बड़ी एंबुलेंस : फोर्स, विंगर, ट्रेवलर शहर में 5000 रुपये तथा शहर से बाहर जाने पर 15 रुपये प्रति किमी के हिसाब से वेंटिलेटर व ऑक्सीजन के साथ।
डेड बॉडी (सामान्य/कोरोना) बीआरडी मेडिकल कॉलेज या शहर से राजघाट तक 1500 रुपये तथा शहर से बाहर जाने पर 15 रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से।
अधिक किराया मांगने पर यहां कीजिए शिकायत डीएम ने बताया कि कोविड-19 संक्रमित मरीज अथवा उनके परिजन निर्धारित दर से अधिक रकम न दें। अगर कोई तय किराए से ज्यादा की रकम मांगे तो उनकी शिकायत पुलिस हेल्पलाइन नंबर 112 व कोविड कट्रोल रूम नंबर -0551-2202205 /2204196 पर दर्ज करा सकते हैं।
शिकायतों को सुनने तथा कार्रवाई के लिए पुलिस अधीक्षक (यातायात) तथा सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) को नोडल अधिकारी नामित किया गया है। नामित अधिकारियों का दायित्व होगा कि वह निर्धारित दरों के आधार पर संबंधित परिवहन सेवा से जुडे़ हुए वाहन स्वामियों/संचालकों से अनुपालन सुनिश्चित करायेंगे।
ऐसे वाहन चालक/स्वामी, जो निर्धारित किराए से अधिक धनराशि मरीज/परिजन से वसूल करते हैं तो उनके खिलाफ द एपीडेमिक डिजीज एक्ट 1897, उत्तर प्रदेश महामारी कोविड-19 विनियमावली-2020 में निहित प्रावधानों के अनुसार दंडात्मक कार्रवाई भी की जाएगी।