सीएसआईआर-सीमैप ने अपना 65वां स्थापना दिवस मनाया

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सीएसआईआर-सीमैप ने अपना 65वां स्थापना दिवस मनाया

ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय

लखनऊ। सीएसआईआर- केंद्रीय औषधीय एवं सुगंधित पौधा संस्थान (सीमैप) ने शुक्रवार, 05 अप्रैल 2024 को अपना 65वां स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर, डॉ. अजीत कुमार शासनी, निदेशक, सीएसआईआर-एनबीआरआई मुख्य अतिथि थे, डॉ. राधा रंगराजन, निदेशक, सीएसआईआर-सीडीआरआई वशिष्ठ अतिथि थी और डॉ. गोपालजी झा, वैज्ञानिक-वी, एनआईपीजीआर विशेष तिथि थे।

सीएसआईआर-सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने अपने स्वागत भाषण में मुख्य अतिथि का स्वागत किया, उन्होंने वहाँ पर उपस्थित वैज्ञानिकों, शोधार्थीयों व कर्मचारियों को पिछले 6 दशकों में संस्थान के योगदान से अवगत कराया। उन्होंने संस्थान की महत्वपूर्ण उपलब्धियों, विशेष रूप से सीएसआईआर-अरोमा मिशन का भी उल्लेख किया। सीमैप के योगदान ने भारत को दुनिया भर में अग्रणी सुगन्धित तेल निर्यातक बना दिया। डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने कहा कि सीमैप में इस अप्रैल में सिंथेटिक बायोलॉजी पायलट प्लांट भी विकसित किये जायेंगे। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि आने वाले वर्षों में हम और अधिक नवीन प्रौद्योगिकियां विकसित करेंगे जो कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देंगी। उन्होने बताया कि, सीमैप ने समाज, उद्योग और राष्ट्र की सेवा में प्रमुख भूमिका निभाई है। सीमैप सभी संसाधन उपलब्ध कराकर और एक गतिशील और अनुकूल अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देकर वैज्ञानिकों के प्रयासों को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। सीमैप की नवीन अत्याधुनिक तकनीक और वर्षों के अनुभव वाले वैज्ञानिकों ने सीमैप को विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ने में मदद की है।

डॉ. गोपालजी झा, वैज्ञानिक-वी, एनआईपीजीआर ने ‘स्थायी कृषि के लिए कवक खाने भक्षी जीवाणुओं और उसके आणविक रहस्यों का शोषण’ विषय पर सीएसआईआर स्थापना दिवस व्याख्यान दिया। उन्होंने धान की फसल को प्रभावित करने वाली एक गंभीर कवक जनित रोग राइस शेल्थ ब्लाइट के बारे में बताया। हाल के वर्षों में, इस कवक रोग ने धान की फसलों काफी नुक्सान पहुंचाया है। उन्होंने चावल की फसल को प्रभावित करने वाले राइस शीथ ब्लाइट फंगल रोग पर अपना व्याख्यान दिया और बताया कि चावल की फसल को इस बीमारी से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए फंगस जैसे सूक्ष्म जीवों का कैसे शोषण किया जा सकता है, जिससे फसल सुरक्षा के लिए रणनीति तैयार करने में मदद मिलेगी।

सीएसआईआर-एनबीआरआई के निदेशक डॉ. अजीत कुमार शासनी, मुख्य अतिथि, ने सीएसआईआर-सीमैप के प्रयासों की सराहना की, जिसे अब वैश्विक स्तर पर स्वीकार किया गया है और संस्थान द्वारा पिछले दशकों में की गई प्रगति की भी सराहना की। अपने भाषण में, उन्होंने टिकाऊ कृषि के लिए पादप रक्षा तंत्र के रूप में द्वितीयक मेटाबोलाइट्स के महत्व पर प्रकाश डाला।उन्होंने साथ ही साथ कवक खाने वाले जीवाणुओं और इसके आणविक रहस्यों के दोहन पर डॉ. गोपालजी झा के काम की भी प्रशंसा की।

सीएसआईआर-सीडीआरआई की निदेशक डॉ. राधा रंगराजन ने सीमैप, लखनऊ में आने पर हर्ष व्यक्त किया ।

सीमैप ने दो प्रमुख समझौता ज्ञापनों (एमओयू) का आदान-प्रदान किया। पेहला अगरबत्ती और धुप बत्ती बनाने के लिए लखनऊ में साझी रेखा कल्याण समूह के साथ। दूसरा न्यूट्रीप्लेनेट फूड्स पं. लिमिटेड, बैंगलोर के साथ हुआ। सीएसआईआर-सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने तीनों विशेष आगंतुकों को शॉल, स्मृति चिन्ह और सीमैप, लखनऊ के उत्पाद किट से सम्मानित किया।

डॉ. अजीत कुमार शासनी, निदेशक, सीएसआईआर-एनबीआरआई ने इस अवसर पर एक उच्च स्तरीय सुविधा ‘प्लांट फंक्शनल जीनोमिक्स और जीनोम एडिटिंग के लिए प्लांट ग्रोथ चैंबर’ का उद्घाटन किया। यह सुविधा शोधकर्ताओं को दीर्घकालिक अनुसंधान करने और जलवायु अनुकूल और उच्च उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने में मदद करेगी।

सीमैप के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. संजय कुमार ने अंत में सभी को धन्यवाद ज्ञापन दिया।कार्यक्रम में संस्थान के लगभग 300 वैज्ञानिक, शोध छात्र एवं कर्मचारी भी उपस्थित थे।

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