समावेशी शिक्षा, सामाजिक न्याय एवं समानता प्राप्त करने का प्रभावशाली साधन

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सिटी क्राइम रिपोर्टर
अनुराग श्रीवास्तव

समावेशी शिक्षा, सामाजिक न्याय एवं समानता प्राप्त करने का प्रभावशाली साधन
तिलकधारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय जौनपुर के बलरामपुर सभागार में शिक्षक शिक्षा विभाग द्वारा “राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 के परिप्रेक्ष्य में समावेशी शिक्षा: संभावनाएं एवं चुनौतियां” पर दो दिवसीय शैक्षिक संगोष्ठी का शुभारंभ मां सरस्वती के चरणों में दीप प्रज्वलन के साथ प्रारंभ हुआ। अतिथियों का स्वागत वी.ब.सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर शिक्षा संकाय के डीन प्रोफेसर अजय कुमार दुबे द्वारा किया गया। संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन करते हुए शिक्षक शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर सुधांशु सिन्हा ने बताया कि भारत एक जनतांत्रिक राष्ट्र होने के नाते समावेशी शिक्षा उसके मूल्य में निहित है। शिक्षा सामाजिक न्याय और समानता प्राप्त करने का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है, जिसके द्वारा समता मूलक एवं समावेशी समाज का निर्माण किया जा सकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 का दृष्टिकोण अत्यंत व्यापक और दीर्घकालिक है, इस तथ्य और नीति के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए लक्ष्य और प्रयोजनों को हासिल करने के तौर तरीकों को निर्धारित किया गया है। विशिष्ट अतिथि पूर्व अधिष्ठाता शिक्षा संकाय पूर्वांचल विश्वविद्यालय प्रो० विनय कुमार सिंह ने कहा कि समावेशी शिक्षा के द्वारा सभी स्तरों में लिंग और सामाजिक श्रेणियां के अंतराल को कम किया जा सकता है। मुख्य अनुशास्ता प्रोफेसर रीता सिंह ने अपने उदबोधन में बताया कि किस प्रकार प्रारम्भिक स्तर पर शिक्षा को समावेशी बनाने के लिए प्रयास किया जा रहा है। सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर समूहों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता पूर्व अधिष्ठाता शिक्षा संकाय पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर प्रोफेसर समर बहादुर सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सबके लिए गुणवत्तापूर्ण, न्याय संगत और समावेशी शिक्षा का लक्ष्य रखा गया है। इसमें शिक्षा के सभी स्तरों पर पहुंच,भागीदारी और ज्ञान अर्जन के परिणाम में विभिन्न सामाजिक वर्गों में अंतर को दूर करने की प्रतिबद्धता दोहराई गई है। संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रबंध समिति के अध्यक्ष प्रो० श्रीप्रकाश सिंह ने किया और कहा की समावेशी एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को शैक्षिक सुधारो के एजेंडे में सबसे ऊपर रखा गया है, इसका लक्ष्य समावेशी समाज की स्थापना करना है। संगोष्ठी का सफल संचालन प्रो० श्रद्धा सिंह ने किया एवं अंत में अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन डॉ गीता सिंह ने किया। संगोष्ठी को शिक्षक शिक्षा विभाग के आचार्यगण ,डॉ० अरविंद सिंह,डॉ वंदना शुक्ला, डॉ० प्रशांत कुमार पाण्डेय, , डॉ० सीमांत राय, डॉ वैभव सिंह, डॉ०सुलेखा सिंह ने भी सम्बोधित किया । संगोष्ठी मे बड़ी संख्या में शिक्षा-संकाय के शोध-छात्र, विद्यार्थी एवं प्राध्यापकों ने प्रतिभाग किया एवं अपने शोध-पत्रों को प्रस्तुत किया।

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