Getting your Trinity Audio player ready...
|
18 मई – श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई
नमो राघवाय 🙏
भक्ति सुतंत्र सकल सुख खानी ।
बिनु सत्संग न पावहिं प्रानी ।।
पुन्य पुंज बिनु मिलहिं न संता ।
सतसंगति संसृति कर अंता ।।
( उत्तरकांड 44/3)
राम राम 🙏🙏
राज्याभिषेक के बाद राम जी ने सबको बुलाया है और कहा कि भक्ति में सुख है , यह लोक परलोक दोनों सुखी करती है । भक्ति स्वतंत्र है , सब सुखों की खान है परंतु सत्संग के बिना यह मिलती नहीं है । पुण्यसमूह के बिना संतों का संग नहीं मिलता है । सत्संगति जगत के आवागमन से मुक्ति दिलाती है ।
भक्ति में सब सुख विद्यमान है परंतु भक्ति पाने के लिए सत्संग करना होगा , संतों का संग पुण्य कर्मों से मिलता है , पुण्य परोपकार से , राम सेवा से बढ़ता है तब जगत का बंधन कटता है ।अस्तु राम सेवा में लगकर पुण्य बढ़ाएँ व भक्ति पाकर सुखी हो जाएँ । अथ ! जय जय राम, जय जय राम
संकलन तरूण जी लखनऊ