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सद्गुरु कबीर मानवता के परम आदर्श: उमाशंकर
ब्यूरो चीफ आर एल पांडेय
अयोध्या। श्रीकबीर धर्म मंदिर सेवा समिति जियनपुर महाेबरा बाजार में शनिवार को सद्गुरु कबीर साहेब की 627वीं जयंती हर्षोल्लास पूर्वक मनाई गई। जयंती समाराेह पर एक संगाेष्ठी का आयोजन किया गया। समाराेह की अध्यक्षता करते हुए कबीर मठ जियनपुर के अध्यक्ष व महंत उमाशंकर दास ने कहा कि कबीर साहेब मानवता जीवी व राष्ट्रीय एकता के प्रतीक थे। उनकाे शांतिमय जीवन प्रिय था और वे अहिंसा, सत्य, सदाचार आदि गुणों के प्रशंसक रहे। अपनी सरलता, साधु स्वभाव तथा संत प्रवृत्ति के कारण आज विदेशों में भी उनका समादर हो रहा है। कबीर साहेब सिर्फ मानव धर्म में विश्वास रखते थे। ‘पाहन पूजे हरि मिलैं, तो मैं पूजौं पहार। कबीर एक संत कवि व समाज सुधारक थे। उनका उद्देश्य समाज को सुधारना, जागरुक करना व सभ्य बनाना था। सामाजिक कुरीतियों, आडंबरों को दूर करना ही कबीर दास का मूल उद्देश्य था।सद्गुरु कबीर साहेब मानवता के परम आदर्श हैं। समिति के मंत्री विवेक ब्रह्मचारी ने कहा कि संत कबीर का सच्चा दर्शन न केवल मानवीय और दैवीय प्रकृति का है, बल्कि सामाजिक और नैतिक प्रकृति का भी है। संत कबीर के दर्शन में सद्भाव, समानता और भक्ति सभी महत्वपूर्ण विषय हैं। सेवा के अर्थ के साथ समर्पण का पहलू उनके विचारों में प्रमुख है। गाैर बाजार बस्ती के ब्लाक प्रमुख जटाशंकर शुक्ला ने कहा कि कबीर का मुख्य उद्देश्य सामाजिक भेदभाव और आर्थिक शोषण को रोकना था। उनका सबसे महान ग्रन्थ बीजक है। सद्गुरु कबीर साहेब ने परम संतरूप में प्रकट होकर अपनी सहज-सरल एवं गहन-गम्भीर वाणियों के द्वारा जो सदाचार, सत्यज्ञान तथा मोक्ष का सदुपदेश किया। उससे निस्संदेह मानवता को असीम सुख एवं अपार बल मिला।
समाजसेवी परमात्मा प्रसाद चक्रवर्ती ने कहा सद्गुरु कबीर साहेब का उपदेशित ज्ञान ऐसा चमत्कारी है कि जो उसे ठीक से ग्रहण करता है, वह उसके घट के पट खोलकर उसे नया मुक्त एवं श्रेष्ठ जीवन प्रदान करता है। सम्पूर्ण मानवता को उन्होंने अपने शब्दों में समेटा है। उनकी समस्त शब्द-वाणियां मानव-कल्याण के दिव्य सूत्र हैं। इससे पहले उपस्थित जनाें ने सद्गुरू कबीर साहेब के चित्रपट पर माल्यार्पण किया। कबीर मठ के महंत उमाशंकर दास द्वारा पधारे हुए अतिथियाें का माल्यार्पण एवं अंगवस्त्र ओढ़ाकर स्वागत किया गया। जयंती समाराेह में सीओ यातायात डॉ. राजेश तिवारी, बड़हरा कबीर आश्रम गाेंडा के संत राधेश्याम दास, काठमांडू नेपाल के संत संताेष दास, महंत चेतन घटाैलिया गाेंडा, रवींद्र दास, हेमंत दास, डॉ. अनूप कुमार जायसवाल, प्रदीप वर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर बालकराम शर्मा , डॉ. विवेक तिवारी, विजय चाैधरी, अमरनाथ वर्मा, राममूरत चाैबे, अजीत यादव, राजेश आर्य, आनंद वर्मा, राजकुमार यादव, प्रधानाचार्य निर्मल कुमार वर्मा, रामअभिलाख वर्मा, अमरनाथ यादव आदि माैजूद रहे।