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साहिब श्री गुरु हरिगोबिन्द साहिब जी का प्रकाश पर्व (जन्मोत्सव) मनाया गया
ब्यूरो चीफ आर एल पांडेय
लखनऊ। मीरी पीरी के मालिक, बन्दी छोड़ दाता, सिखों के छठे गुरु श्री गुरु हरिगोबिन्द साहिब जी का प्रकाश पर्व (जन्मोत्सव) ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री गुरू नानक देव जी नाका हिंडोला,लखनऊ में बड़ी श्रद्धा एवं हर्षाेल्लास के साथ मनाया गया ।
सायं के दीवान में श्री रहिरास साहिब के पाठ के उपरांत रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह जी ने अपनी मधुरवाणी में शबद कीर्तन एवं नाम सिमरन द्वारा समूह संगत को निहाल किया
मुख्य ग्रन्थी ज्ञानी सुखदेव सिंह जी ने श्री गुरु हरिगोबिन्द साहिब जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आपका जन्म श्री गुरु अरजन देव जी व माता गंगा जी के घर श्री अमृतसर में हुआ था। श्री गुरु अरजन देव जी की शहीदी के बाद आप गद्दी पर बैठे व दो तलवारें धारण की एक मीरी की और एक पीरी की। मीरी का मतलब बादशाहत, ताकत, शक्ति, भाव जो लोग दुनिया में जुल्म कर रहे है मैं मीरी की तलवार पहन कर उन्हें जुल्म करने से रोकूंगा और पीरी का मतलब जो लोग पीर फकीर अधर्मी बनकर पाप कर रहे हैं, मैं उनके पाप को प्रकट करुंगा व सच्चे धर्माथियों की रक्षा करुंगा। जहाँ श्री गुरु अरजन देव जी ने श्री अमृतसर में हरिमन्दिर साहिब की सर्जना की जो भक्ति का प्रतीक है, वहाँ श्री गुरु हरिगोबिन्द साहिब जी ने हरिमन्दिर साहिब के ठीक सामने अकाल तख्त की सर्जना की जो शक्ति का प्रतीक है। गुरु जी ने दुनिया के भले के लिये पानी की कमी को देखकर जगह-जगह कुएं खुदवाये और ऊँच नीच के भेदभाव को खत्म किया। गुरु जी की दिन प्रतिदिन बढ़ती ताकत को देखकर जुल्म का शिकार हुए ईर्शालु सहन न कर सके व गुरु जी को ग्वालियर के किले में बन्द कर दिया। जहाँ जहाँगीर के सताये हुए 52 हिन्दू राजा भी कैद थे जिनका राजपाट जहाँगीर ने अपने कब्जे में कर लिया था, पर कुछ समय बाद जहाँगीर ने गुरु जी को मुक्त करने का आदेश दिया। गुरु जी ने कहा हम अकेले किले से बाहर नहीं जायेंगे। अगर हमें रिहा करना है तो इन 52 हिन्दू राजाओं को भी रिहा करना होगा। जहाँगीर को गुरु जी की शर्त माननी पड़ी। इस तरह गुरु जीे उन 52 हिन्दू राजाओं को लेकर किले से बाहर निकले और उनका राजपाट वापस दिलवाया। तभी से गुरु जी को ‘‘बन्दी छोड़ दाता’’ भी कहा जाता है।
विशेष रूप से पधारी बीबी परमजीत कौर “पम्मा बहिन जी” बीबी कौला जी भलाई केन्द्र श्री अमृतसर वालों ने “पंज पिआले पंज पीर छठमु पीरु बैठा गुर भारी।।
अरजन काइिआ पलटि कै मूरति हरिगोबिन्द सवारी।।”
गायन कर समूह संगत को निहाल किया। कार्यक्रम का संचालन स0 सतपाल सिंह मीत ने किया।
लखनऊ गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी एवं ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री गुरू नानक देव जी नाका हिंडोला लखनऊ के अध्यक्ष स0 राजेन्द्र सिंह बग्गा जी ने समूह संगत को श्री गुरु हरिगोबिन्द साहिब जी के प्रकाश पर्व (प्रकाशोत्सव) की बधाई दी।
समाप्ति के पश्चात हरमिन्दर सिंह टीटू महामंत्री की देखरेख में दशमेश सेवा सोसाइटी के सदस्यों द्वारा मिस्से प्रसादे एवं लस्सी का लंगर वितरित किया ।