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अवध की शान हैं हम, लखनऊ के तैराक !
छुट्टी वाले इतवार का रहता है जहाँ इंतजार !!
ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ अनेक ऐतिहासिक धरोहर को समेटे हुए है, एक तरफ चिकन के परिधान पूरी दुनिया में अपनी धाक जमाये हुए हैं तो वहीं दस्तरखान पर सजने वाला मुगलई ज़ायका देश विदेश के लोगों के दिलों पर राज करता है और इसी राजधानी लखनऊ के बीच से बहती हुई गोमती नदी अपने प्रवाह में न जाने कितने इतिहास के सुनहरे पन्नो को समेटे हुए निरंतर बहती जा रही है । इन्हीं धरोहर के बीच गोमती नदी मे हैदर भाई द्वारा संचालित तैराकी क्लब का भी अपना एक अलग इतिहास है।
गोमती नदी के तैराकी से निकले अनेक ऐसे नगीने हैं जो प्रदूषित हो रही गोमती को तो छोड़ गए लेकिन जो हुनर उन्होंने सीखा था उसे नही छोड़ पाए और उम्र के आखिरी पड़ाव में भी पानी से ऐसा लगाव है कि तैराकी का मोह नही छोड़ पाए हैं और आज भी छोटे बच्चों को तैराकी के हुनर सिखाते नजर आते हैं।
जिसको देखकर 5 साल से लेकर 70 साल तक के लोग तैराकी सीखने के लिए प्रेरित होते हैं।
शहीद भगत सिंह तरण ताल, महानगर में इन्ही नगीनों ने एक ऐसा तैराकी क्लब बनाया है जो न सिर्फ पानी में तैरना सिखाता है बल्कि जिंदगी को हंसने, गुनगुनाने और मुस्कुराने का एक ज़रिया बनाता है। जहां पहुंचकर जिंदगी के सभी तनाव को पीछे छोड़कर हर उम्र के लोग साथ बैठकर हंसते, खिलखिलाते और मुस्कुराते हैं, न कोई तनाव दिखता है और ना ही कोई गमगीन दिखाई देता है।
कोविड के दौर ने इंसान को जिंदगी का सबसे खूबसूरत आइना दिखाया है, दौलत, शोहरत जितनी भी हो लेकिन मौत एक ऐसा सच है जो किसी के बस में नहीं इसलिए हंसते, खेलते, खिलाते, पिलाते, मिलते जुलते और खाते पीते जिंदगी गुज़ारते रहिये।
तैराकी क्लब का भी यहीं फलसफा है, जीवन को मस्त रखना है और इतवार की बारी का सबको इंतज़ार रहता है, एक दूसरे के साथ चाय, गीत, संगीत की महफिल के कुछ पल इतवार को खास बना देते हैं । अगले इतवार के इंतजार में सभी की आस जगा देते हैं। तैराकी का भी यही नियम है, तनाव रहित, शरीर को हल्का रखना है तो पानी के सतह पर तैरते रहेंगे वरना जिंदगी तो एक पानी के बुलबुले की तरह है, कब किसका फटना है ये किसी को नही मालूम ।
सावन के रिमझिम वाले इतवार को क्लब के सदस्यों का जमावड़ा अमीनाबाद में नेतराम की दुकान पर सजा जहां पूड़ी, सब्ज़ी और दही जलेबी की मिठास को दोगुना करते हुए नवनिर्वाचित अध्यक्ष रविंद्र गुप्ता द्वारा तैराकी क्लब के खास सदस्यों को दिए जाने वाले प्रतीक चिन्ह हेतु रुपये 5100 की धनराशि अपने निजी कोष से देने की घोषणा की गई जिससे आजका छुट्टी वाला इतवार ख़ास बन गया। सचिव जी ने अध्यक्ष द्वारा की गई इस घोषणा की हृदय से प्रशंसा करते हुए सभी सदस्यों से अध्यक्ष जी का अभिवादन किया। और इस प्रस्ताव पर मोहर लगाई गई ।
*कभी मिल सको तो हम तैराकों की तरह बेवजह मिलना कामरान,*
*वजह से मिलने वाले तो न जाने हर रोज़ कितने मिलते हैं…….!!!*
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डाक्टर मोहम्मद कामरान।