श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई

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15 जुलाई- श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई
नमो राघवाय 🙏

उतरि ठाढ भए सुरसरि रेता ।
सीय रामु गुह लखन समेता ।।
केवट उतरि दंडवत कीन्हा ।
प्रभुहि सकुच एहि नहिं कछु दीन्हा
( अयोध्याकाण्ड 101/1)
राम राम 🙏🙏
सुमंत्र जी को वापस भेजकर राम जी गंगा जी पार करने के लिए सुरसरि तीर आते हैं , केवट उन्हें पार उतारता है , पार उतर कर चारों लोग खड़े हो गये हैं , केवट ने दंडवत् प्रणाम किया है , भगवान संकोच में पड़ जाते हैं कि इसे पार उतारने का मैंने कुछ दिया नही ।
केवट ने राम जी को गंगा पार करवाया है तब राम जी को संकोच होता है कि केवट को कुछ दिया नही दूसरी तरफ़ हम आप हैं कि बिना किसी सेवा के चाहते हैं कि राम जी हमारे बारे में सोचें । ऐसे कैसे बात बनेगी ? अस्तु पहले सेवा करें, राम सेवा में लगें तब राम जी को बरबस हमारे बारे में सोचना पड़ेगा । अथ! जय जय राम सेवा , जय राम सेवा 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी लखनऊ

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