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30 जुलाई- श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई
नमो राघवाय 🙏
पूँछेहु मोहि कि रहौं कहँ
मैं पूछत सकुचाउँ ।
जहँ न होहु तहँ देहु कहि
तुम्हहि देखावौं ठाउँ ।।
( अयोध्याकाण्ड, दो. 127)
जय सियाराम 🙏🙏
वन जाते हुए गंगा पार कर चलते हुए राम जी बाल्मीकि जी के आश्रम पहुँचते हैं । वे बाल्मीकि जी से अपने रहने का स्थान पूछते हैं । मुनि जी कहते हैं कि आप मुझसे अपने रहने का स्थान पूछते हैं, मैं आपसे पूछते हुए संकोच करता हूँ कि जहाँ आप नहीं हों वह स्थान बताएँ जिससे मैं आपको आपके रहने का स्थान बताऊँ ।
हमारी दृष्टि जबतक राममय नहीं हो जाती है तबतक हम आप भी राम जी को इधर उधर ढूँढते फिरते हैं परंतु जैसे ही हम राममय हो जाते हैं तब सब जगह , सबमें राम के ही दर्शन होने लगते हैं । अस्तु राममय हो जाएँ, पूरी सृष्टि राममय दिखाई पड़ेगी व जीवन में समता तथा सबके प्रति ममता हो जाएगी । अथ ! मुझमें राम , तुममें राम , सबमें राम, सबके राम 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी लखनऊ