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गीत के बिना जीवन का कोई मतलब नहीं: डॉ.उमेश पाठक
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग एवं आइक्यूएसी सेल के संयुक्त तत्वावधान में चल रही कार्यशाला के पांचवें दिन सिनेमा के मूल आधार और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवम् डिजिटल तकनीक विषय पर सत्रों का आयोजन किया गया।
महाराजा अग्रसेन प्रबंध अध्ययन संस्थान दिल्ली के जनसंचार विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. उमेश पाठक ने कहा कि संगीत इंसान के लिए जरूरी है, इसके बिना जीवन का कोई मतलब नहीं है, इसलिए सिनेमा में संगीत को महत्व दिया जाता है। उन्होंने सिनेमा में कैमरा, लाइट, साउंड और एक्शन के विभिन्न पहलुओं पर बारिकी से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि दक्षिण की फिल्मों में साउंड्स पर ज्यादा फोकस किया जाता है। शोले और दीवार फिल्म के शाट और डायलॉग दिखाकर उन्होंने साउंड और डायलॉग को स्पष्ट किया।
इसी क्रम में नयी दिल्ली एपीजे इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजीव कुमार पंडा ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और डिजिटल तकनीक विषय पर बात की।
कहा कि कोविड-19 ने टेक्नोलॉजी में बहुत बदलाव लाया है, सबको डिजिटल प्लेटफार्म पर लाकर खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी तेजी से बदल रही है। इसका ज्ञान जरूरी है। उन्होंने डिजिटल तकनीक के विविध आयामों पर विस्तार से प्रकाश डाला।उन्होंने कहा कि मोबाइल ने नागरिकों की आवाज को सोशल मीडिया के माध्यम से वैश्विक स्तर तक पहुंचाया है. तथ्यों की चर्चा करते हुए कहा कि भारत में सोशल मीडिया के यूजर्स तेजी से बढ़ रहे हैं।
कार्यक्रम का संचालन डॉ.दिग्विजय सिंह राठौर,स्वागत संयोजक डॉ मनोज मिश्र एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुनील कुमार ने किया। इस अवसर पर , प्रो मानस पांडेय,डॉ अवध बिहारी सिंह,डॉ जान्हवी श्रीवास्तव, डॉ राखी तिवारी, डॉ कौशल पांडेय, डॉ हिमानी सिंह, डॉ सुनील गुप्त,डॉ रश्मि गौतम समेत विभिन्न प्रदेशों के प्रतिभागी मौजूद रहे।