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5 अक्टूबर- श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई
नमो राघवाय 🙏
सुकृती तुम्ह समान जग माहीं ।
भयउ न है कोउ होनेउ नाहीं ।।
तुम्ह ते अधिक पुन्य बड़ काकें
राजन राम सरिस सुत जाकें ।।
( बालकांड 293/3)
राम राम 🙏🙏
धनुष भंग होने पर जनक जी ने दशरथ जी के पास चिट्ठी भेजकर इसकी सूचना दी है । दशरथ जी ने पत्र पढ़कर वशिष्ठ जी को दिया है तथा जनक के दूतों ने सब बताया है । वशिष्ठ जी कहते हैं कि राजन! आप जैसा पुण्यवान इस संसार में न कोई हुआ है , न है और न होने वाला है । आपसे अधिक पूण्यवान कौन होगा जिसके राम जैसे पुत्र हों ।
दशरथ जी धर्मशील, पुण्यधाम हैं तब राम जी जैसे उनके पुत्र हुए हैं । परमात्मा पुण्यात्मा के पास रहते हैं । हम आप भी यदि अपना पुण्य बढ़ा लें तो राम जी का साथ हमें आपको भी मिल सकता है । अतएव अपना पुण्य बढ़ाएँ , राम पाएँ । अथ ! राम राम जय राम राम 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी लखनऊ