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1२ अक्टूबर .श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई
नमो राघवाय 🙏
जदपि कबित रस एकउ नाहीं
राम प्रताप प्रगट एहि माहीं ।।
सोइ भरोस मोरें मन आवा ।
केहिं न सुसंग बड़प्पनु पावा ।।
( बालकांड 9/4)
राम राम 🙏🙏
मानस जी के आरंभ में अपनी काब्य रचना के बारे में बताते हुए गोस्वामी जी कहते हैं कि यद्यपि मेरी इस रचना में कविता का एक भी रस नहीं है , परंतु इसमें राम जी का प्रताप प्रकट है । उसी राम प्रताप का मुझे भरोसा है । अच्छे के संग से भला किसने बड़प्पन नहीं पाया है ।
राम जी से अधिक भला व प्रतापी और कौन हो सकता है । जो भी राम जी से जुड़ा , वह अच्छा हो गया , चाहे वह चर हो , अचर हो या अन्य कुछ भी हो । अतएव जगत में बड़प्पन पाना है तो बस राम संग करें , रघुनाथ संग लगें । अथ ! श्रीराम जय राम जय जय राम 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी लखनऊ