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24 अक्तूबर- श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई
नमो राघवाय 🙏
प्रनतपाल रघुनायक
करूना सिंधु खरारि ।
गएँ सरन प्रभु राखिहैं
तव अपराध बिसारि ।।
( सुंदरकांड , दो. 22)
जय श्री सीताराम🙏🙏
मेघनाद ने हनुमान जी को नागपाश से बाँध कर रावण के दरबार में ले आया है । हनुमान जी से रावण कुछ प्रश्न करता है , हनुमान जी उनके उत्तर देते हैं और फिर रावण से कहते हैं कि राम जी शरणागत के रक्षक हैं , दया के सागर हैं । शरण में जाने पर तुम्हारा अपराध बिसार कर तुम्हें अपनी शरण में ले लेंगे ।
श्री हनुमान जी ने श्रीराम जी के गुणों को रावण को बताया , फिर भी उसने राम जी की शरण नहीं ली , क्या कारण हो सकता है ? कारण रावण तामसी है , उसे तम भाता है , उसे सत अप्रिय है । सत तो राम भजन से बढ़ता है , राम सुमिरन से बढ़ता है। अतएव पहले अपना सत बढाए तभी राम शरण जाने का मन करेगा अन्यथा तम तले ही जीवन बीत जाएगा । अथ ! राम राम जय राम राम 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी लखनऊ