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15 नवम्बर- श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई
नमो राघवाय 🙏
इहाँ पवनसुत हृदयँ बिचारा ।
राम काजु सुग्रीवँ बिसारा ।।
निकट जाइ चरनन्हि सिरु नावा
चारिहु बिधि तेहि कहि समुझावा
( किष्किंधाकांड 18/1)
राम राम 🙏🙏
सुग्रीव को राजा बनाकर राम जी वर्षा ऋतु में प्रवर्षण पर्वत पर निवास करते हैं । वर्षा ऋतु बीत जाती है , वे लक्ष्मण से कहते हैं कि शरद ऋतु आ गई है पर सीता जी की कोई खोज खबर नहीं है, सुग्रीव भी राज पाकर मुझे भूल गया है । उन्होंने लक्ष्मण से कहा कि सुग्रीव को भय दिखाकर लिवा आओ । इधर नगर में हनुमान जी ने विचार किया कि सुग्रीव राम काज भूल गये हैं । वे जाकर सुग्रीव को हर प्रकार से समझाते हैं ।
सुग्रीव की तरह हम आप भी केवल अपने में लगे हुए हैं , सुग्रीव को समझाने के लिए तो हनुमान जी उनके पास हैं पर हमारे पास कौन है , कोई नही , इसलिए सत्संग करें, भक्त का साथ करें जो हमेशा आपको भगवान की याद दिलाता रहे । अत: सत्संग करें , राम काज करें । अथ ! राम राम जय राम राम 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी लखनऊ