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गोरखपुर : गोरखपुर जिले में कैंपियरगंज विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक फतेह बहादुर सिंह की पत्नी साधना सिंह 12 जुलाई को दूसरी बार जिला पंचायत अध्यक्ष पद की शपथ लेंगी। वह वर्ष 2010 से 2015 तक भी जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं। इस बार भाजपा समर्थित प्रत्याशी के तौर पर साधना सिंह निर्विरोध निर्वाचित हुईं हैं।
सर्किट हाउस स्थित एनेक्सी भवन सभागार में 12 जुलाई को सुबह 11 बजे डीएम के विजयेंद्र पांडियन, साधना सिंह को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे। इसके बाद जिला पंचायत अध्यक्ष साधना सिंह बारी-बारी 68 जिला पंचायत सदस्यों को सत्य, निष्ठा एवं गोपनीयता की शपथ दिलाएंगी। जिला पंचायत कार्यालय शपथ ग्रहण के लिए तैयारियों में जोर-शोर से जुट गया है।
कोरोना संक्रमण को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का आसानी से पालन हो सके इसलिए एनेक्सी भवन सभागार को शपथ ग्रहण के लिए चुना गया है। राज्य के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने सामान्य निर्वाचन 2021 में निर्वाचित जिला पंचायत सदस्यों और अध्यक्षों के शपथ ग्रहण के लिए 12 जुलाई को सुबह 11 बजे का समय निर्धारित किया है।
शासन स्तर से जारी निर्देश में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत नियमावली 1994 के प्रावधानों के तहत नवनिर्वाचित अध्यक्षों और सदस्यों का शपथ ग्रहण कराया जाए। इसी के साथ ही उसी दिन नवनिर्वाचित सदस्यों की पहली बैठक भी आयोजित की जाए। गाइडलाइन जारी होते ही शपथ ग्रहण की तैयारियां जोरों पर शुरू हो चुकी हैं।
गठन के बाद से ही आधी आबादी के हाथ में रही जिला पंचायत की कमान
गोरखपुर जिला पंचायत के गठन के बाद से ही इसकी कमान आधी आबादी के हाथ में ही रही है। शोभा साहनी पहली जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। इसके बाद सुभावती पासवान, चिंता यादव, साधना सिंह और गीतांजलि यादव जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। साधना सिंह के हाथ में फिर एक बार जिला पंचायत की कमान मिली है। बता दें कि जिला पंचायत गोरखपुर का सालाना बजट तकरीबन 50 से 52 करोड़ रुपये का होता है। इस रकम से जिला पंचायत की अध्यक्षता में जिला पंचायत सदस्य, कार्य योजना बना कर बोर्ड की सहमति से अपने-अपने क्षेत्रों में विकास कार्य करा सकते हैं।
त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था में जिला पंचायत अध्यक्ष का पद सबसे बड़ा
त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था में जिला पंचायत अध्यक्ष का पद सबसे बड़ा होता है। इसके जिम्मे पंचायतवार सड़क, सफाई, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी और अन्य बुनियादी सुविधाओं को जुटाने की जिम्मेदारी होती है। जिला पंचायत अध्यक्ष की सहमति के बाद ही कोई प्रस्ताव पारित होता है। जिला पंचायत अध्यक्ष को अभी केंद्र और राज्य सरकार के मद से प्रतिवर्ष करीब 50 से 52 करोड़ रुपये का बजट मिलता है।
त्रिस्तरीय पंचायती राज अधिनियम के तहत जिला पंचायत को काफी अधिकार प्रदान किए गए हैं। नियमानुसार ग्राम पंचायत और क्षेत्र पंचायत की विकास योजनाओं को अंतिम रूप देने की जिम्मेदारी जिला पंचायत के जिम्मे ही है। जिला पंचायत पूरे जिले से आई प्राथमिकताओं व लोगों की जरूरतों का समेकन कर एक जिला योजना तैयार करती है, जो क्षेत्र विशेष के हिसाब से उनकी प्राथमिकताओं के आधार पर होती है। इस तरह जिला योजना में स्वीकृत योजना का क्रियान्वयन किया जाता है।
जिला पंचायत की बैठक
जिला पंचायत के कार्यों के संचालन के लिए संविधान में जिला पंचायत की बैठक का प्रावधान किया गया है। जिसके तहत हर दो महीनों में जिला पंचायत की कम से कम एक बैठक जरूरी है। हालांकि प्राय: इसमें देर हो जाती है। जिला पंचायत की बैठक को बुलाने का अधिकार अध्यक्ष को है। अध्यक्ष की गैरहाजिरी में उपाध्यक्ष जिला पंचायत की बैठक बुला सकता है।
इसके अलावा जिला पंचायत की अन्य बैठकें भी बुलाई जा सकती है। यदि जिला पंचायत के 1/5 सदस्य लिखित रूप से मांग करें और यह मांग पत्र सीधे हाथ से दिया गया हो या प्राप्ति पत्र सहित रजिस्टर्ड डाक द्वारा दिया गया हो तो आवेदन प्राप्ति के एक महीने के भीतर अध्यक्ष जिला पंचायत की बैठक जरूर बुलाएंगे। बैठक में जिला पंचायत सदस्य, अध्यक्ष या मुख्य विकास अधिकारी से प्रशासन से संबंधी कोई विवरण, अनुमान, आंकड़े, सूचना, कोई प्रतिवेदन, अन्य ब्यौरा या कोई पत्र की प्रतिलिपि मांग सकते हैं। अध्यक्ष या मुख्य विकास अधिकारी बिना देर किए मांगी गई जानकारी सदस्यों को देंगे।
जिला पंचायत के कार्य एवं शक्तियां
– कृषि तथा बागवानी का विकास। सब्जियों, फलों और पुष्पों की खेती और विपणन की उन्नति।
– चकबन्दी, भूमि संरक्षण एवं सरकार के भूमि सुधार कार्यक्रमों में सरकार को सहायता प्रदान करना।
– लघु सिंचाई कार्यों के निर्माण और अनुरक्षण में सरकार की सहायता करना। सामुदायिक तथा वैयक्तिक सिंचाई कार्यों का कार्यान्वयन।
– पशु सेवाओं की व्यवस्था। पशु, मुर्गी और अन्य पशुधन की नस्लों का सुधार करना। दूध उद्योग, मुर्गी पालन और सुअर पालन की उन्नति।
– मत्स्य पालन का विकास एवं उन्नति
– सड़कों तथा सार्वजनिक भूमि के किनारों पर वृक्षारोपण और परिरक्षण करना। सामाजिक वानिकी और रेशम उत्पादन का विकास और प्रोन्नति।
– लघु वन उत्पाद की प्रोन्नति और विकास।
– ग्रामीण उद्योग के विकास में सहायता करना। कृषि उद्योगों के विकास की सामान्य जानकारी का सृजन
– कुटीर उद्योगों के उत्पादों के विपणन की व्यवस्था करना
– ग्रामीण आवास कार्यक्रम में सहायता देना और उसका कार्यान्वयन करना।
– पेयजल की व्यवस्था करना तथा उसके विकास में सहायता देना। दूषित जल के सेवन से लोगों को बचाना। ग्रामीण जल आपूर्ति कार्यक्रमों को प्रोत्साहन देना और अनुश्रवण करना।
– ईंधन तथा चारा से संबंधित कार्यक्रमों की प्रोन्नति। जिला पंचायत के क्षेत्र में सड़कों के किनारे पौधरोपण।
– गांव के बाहर सड़कों, पुलियों का निर्माण और उसका अनुरक्षण। पुलों का निर्माण। नौका घाटों, जल मार्गों के प्रबंधन में सहायता करना।
– ग्रामीण विद्युतिकरण को प्रोत्साहित करना।
– गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोत के प्रयोग को बढ़ावा देना तथा उसकी प्रोन्नति।
– गरीबी उन्मूलन के कार्यों का समुचित क्रियान्वयन करना।
– प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा का विकास। प्रारंभिक और सामाजिक शिक्षा की उन्नति।
– ग्रामीण शिल्पकारों और व्यवसायिक शिक्षा की उन्नति।
– ग्रामीण पुस्तकालयों की स्थापना एवं उनका विकास।
– सांस्कृतिक कार्यों का पर्यवेक्षण। लोक गीतों, नृत्यों तथा ग्रामीण खेलकूद की प्रोन्नति और आयोजन। सांस्कृतिक केंद्रों का विकास और उन्नति।
– ग्राम पंचायत के बाहर मेलों और बाजारों की व्यवस्था और प्रबंधन।
– प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और औषधालयों की स्थापना और अनुरक्षण। महामारियों का नियंत्रण करना। ग्रामीण स्वच्छता और स्वास्थ्य कार्यक्रमों का कार्यान्वयन करना।
– परिवार कल्याण और स्वास्थ्य कार्यक्रमों की उन्नति।
– महिलाओं एवं बाल स्वास्थ्य तथा पोषण कार्यक्रमों में विभिन्न संगठनों की सहभागिता के लिए कार्यक्रमों की प्रोन्नति।
– महिलाओं एवं बाल कल्याण के विकास से संबंधित कार्यक्रमों का आयोजन व प्रोन्नति।
– दिव्यांगों तथा मानसिक रूप से मंद व्यक्तियों का कल्याण। वृद्धावस्था, विधवा पेंशन योजनाओं का अनुश्रवण करना।
– अनुसूचित जातियों तथा कमजोर वर्गों के कल्याण की प्रोन्नति। सामाजिक न्याय के लिए योजनाएं तैयार करना और कार्यक्रमों का कार्यान्वयन। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत आवश्यक वस्तुओं का वितरण।
– सामुदायिक अस्तियों के परिरक्षण और अनुरक्षण का अनुश्रवण और मार्गदर्शन करना।
– आर्थिक विकास के लिए योजनाएं तैयार करना। ग्राम पंचायतों की योजनाओं का पुनरावलोकन, समन्वय तथा एकीकरण।
– खंड तथा ग्राम पंचायत विकास योजनाओं के निष्पादन को सुनिश्चित करना। सफलताओं तथा लक्ष्यों की नियतकालिक समीक्षा।
– खंड योजना के कार्यान्वयन से संबंधित विषयों के संबंध में सामग्री एकत्र करना तथा आंकड़े रखना।