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30 नवम्बर- श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई
नमो राघवाय 🙏
सुनि सीता दुख प्रभु सुख अयना
भरि आए जल राजीव नयना ।।
बचन कायँ मन मम गति जाही।
सपनेहुँ बूझिअ बिपति की ताही ।।( सुंदरकांड , 31/1)
राम राम 🙏🙏
हनुमान जी सीता जी का पता लगाकर राम जी के पास लौट आए हैं, उन्हें चूड़ामणि दिया है और सीता जी का हाल बताया है , जिसे सुनकर राम जी के नेत्र भर जाते हैं । वे हनुमान जी कहते हैं कि मन , वचन व शरीर से जिसने मेरा आश्रय लिया हो , क्या स्वप्न में भी वह विपत्ति में पड़ सकता है ? अर्थात् नहीं ।
यदि आपने मन वचन व तन से अपने को प्रभु को समर्पित कर रखा तो विपत्ति आपके समीप नहीं आएगी , आपसे दूर रहेगी । हमारा राम समर्पण आंशिक होता है , इसीलिए हम पर विपत्ति पड़ती है । विपत्तियाँ आपकी ओर स्वप्न में भी चलने की न सोचें , ऐसा चाहते हैं तो हर तरह से राम जी का आश्रय लें । अथ ! जय राम ,जय राम , जय जय राम 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी लखनऊ