उड़ीसा की परम्परा के मूल जगन्नाथ मंदिर, मणिराम छावनी से अयोध्या में निकली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा

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अयोध्या (संवाददाता) सुरेंद्र कुमार गौतम। उड़ीसा की परंपरा के मूल जगन्नाथ मंदिर मणिराम छावनी से अयोध्या में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली गई।भगवान श्रीहरि विष्णु के दशावतारों के क्रम में कलिपावनावतार कहलाने वाले भगवान जगन्नाथ की परम्परागत रथयात्रा पर इस साल भी ग्रहण लगते-लगते रह गया। आखिरकार संत-महंतों ने परम्परा के निर्वहन करने की ठान ली जिसके बाद पुलिस प्रशासन ने कोविड प्रोटोकाल के अनुपालन के शर्त के साथ अनुमति प्रदान कर दी। फिलहाल पुलिस प्रशासन के दबाव में एक दर्जन मंदिरों से निकलने वाली रथयात्राओं के बजाय महज चार मंदिर से ही रथयात्राएं निकाली गयीं। जबकि शेष मंदिरों के संत-महंतों ने आयोजन को स्थगित कर सांकेतिक कार्यक्रम से ही संतोष कर लिया।
आषाढ़ शुक्ल द्वितीया के पर्व पर अयोध्या में एक दर्जन से अधिक स्थानों में रथयात्राओं का आयोजन होता रहा है। पिछले साल 68 दिनों के लॉकडाउन के बाद आषाढ़ मास में अनलाक की प्रक्रिया शुरु हुई थी। फिर भी जिला प्रशासन ने परम्परागत रथयात्रा के आयोजन की अनुमति नहीं दी जिसके कारण कार्यक्रम सांकेतिक आयोजन तक ही सीमित रहा। इस बार सब कुछ ठीक चल रहा था। इसके कारण आयोजन की तैयारियां भी उत्साहपूर्वक की जा रही थी। इस बीच रविवार की देर शाम जिला प्रशासन के निर्देश पर क्षेत्राधिकारी राजेश राय ने रथयात्रा निकालने वाले सभी मंदिरों से व्यक्तिगत सम्पर्क किया और उनसे आग्रह किया कि कोविड संक्रमण रुप बदलकर सामने आ रहा है। उन्होंने संतों को बताया कि गोरखपुर से कोविड के डेल्टा रुप से सम्बन्धित 55 सैंपल जांच के लिए भेजे गये हैं। उन्होंने इन्हीं कारणों से आयोजन को मंदिरों तक ही सीमित करने का निर्देश दिया। सीओ की सलाह पर दशरथ राजमहल, रामहर्षण कुंज, हनुमत निवास, रामरगड़े दास प्रहलाद घाट, रामजानकी पंचायती सेन मंदिर दुराहीकुंआ व माईबाड़ा सहित अन्य ने रथयात्राएं स्थगित कर दी। उधर रामकोट स्थित जगन्नाथ मंदिर के महंत राघव दास रामायणी ने कहा कि अयोध्या में भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान है, इसलिए परम्परा का निर्वहन अनिवार्य है जिनके यहां प्रतीक कार्यक्रम होते हैं, उन्होंने स्थगित किया होगा।फिलहाल महंत राघव दास के संयोजन में जगन्नाथ मंदिर से धूमधाम से बैंड-बाजे के साथ रथयात्रा परम्परागत मार्ग से निकाली गयी। वहीं रथयात्रा की वापसी पर फूल बंगले की झांकी आयोजित हुई। इसके पूर्व मध्याह भंडारे का भी आयोजन किया गया जिसमें सभी प्रमुख संत-महंतों ने हिस्सा लिया। उधर मणिराम छावनी के चारधाम मंदिर से भी भगवान की रथयात्रा उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास के संयोजन में निकाली गयी। इस रथयात्रा में अधिकारी रामकृपालु दास पंजाबी बाबा, रामनाम बैंक प्रबंधक पुनीतराम दास, पुजारी राममिलन दास व संत दास के अलावा बलराम दास, रामरक्षा दास, विनय शास्त्री, ओपी पाण्डेय लाला शामिल रहे। उधर रामकचेहरी चारोंधाम से भी रथयात्रा महंत शशिकांत दास के संयोजन में निकाली गयी। इस दौरान बैजू दास व महंत मनीष दास सहित अन्य मौजूद रहे। इसी कड़ी में रामहर्षण कुंज से भी रथयात्रा निकाली गई।

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