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देश को विकसित करने के लिए काम करना चाहते हैं युवा:पं. श्रीकान्त उपाध्याय
ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय
लखनऊ। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के नाम पर अराजकता व हिन्दुओ को विघटन करने वालो को राष्ट्रीय युवा वाहिनी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पं. श्रीकान्त उपाध्याय ने दो टूक जबाब देते हुए कहा कि
देश संविधान से चलेगा न कि अराजकता फैलाने से, आज देश की राजनीति को देख लगता है जैसे संविधान से देश को चलता देख भारत विरोधियों के पेट मे मरोड़ होने लगी है और वह चाहते है कि देश संविधान से नही चलना चाहिए। कभी किसान आंदोलन , कभी नए कानूनों को लेकर व कभी अंबेडकर का नाम लेकर अराजतत्वो द्वारा अराजकता फैलाई जा रही है व देश मे गृहमंत्री अमित शाह या किसी प्रतिष्ठित का पुतला दहन करना फैशन बनता जा रहा है। क्या इन अराजतत्वो को कानून का भय है। जिस अंबेडकर के नाम पर भारत मे यह सब हो रहा है। क्या उसी व्यक्ति द्वारा लिखे संविधान से भरोसा उठ गया है या जानबूझकर संविधान से भरोसा उठाने का प्रयास किया जा रहा है। महाराष्ट्र, दिल्ली , उत्तरप्रदेश हो या भारत का संसद जिस प्रकार घमासान व अराजकता का माहौल बनाकर षडयंत्र रचा जा रहा है। देश मे दंगों का डर बनाया जा रहा है। अगर आज अंबेडकर जिंदा होते तो सोचते कि यह अराजतत्व उन पर भरोसा भी करते थे या उनके नाम पर देश विरोधियों को लाभ पहुँचाने का प्रयास कर रहे है। अगर भरोसा करते तो उनके बनाए संविधान पर भरोसा करते और संविधान के अनुरूप क्रिया करते। अपने ही देश को अशांत करना क्या अंबेडकर को मंजूर होता। कदापि नही, अगर यह अंबेडकर वादी होते तो जातिगण आरक्षण का विरोध करते। क्योकि अम्बेडकर भी चाहते थे कि देश को अपंग न बनाया जाए और देश को विकसित करने पर काम किया जाए। जातिगण आरक्षण अम्बेडकर की देन नही, कांग्रेस का हिंदूओं को विघटन कर राज करने का हथियार था। जो सफल होकर आज राजनीति व देश इससे प्रभावित हो गया। इसको समाप्त करने की किसी भी राजनैतिक पार्टी में दमखम नही है।
मेरा यही मानना है कि भारतीय लंबे अरसे से गुलामी झेलकर बाहर आए है लेकिन देश को आज़ादी मिलने के 76 वर्ष बाद भी अंग्रेजों द्वारा बनाए गुलामो पर अत्याचार व उनकी आवाज को दबाने वाले कानून अभी तक संचालित किए जा रहे है व मुगलों और अंग्रेजों द्वारा भारतीयों को जाति में बांटकर राज करने की नीति की विचारधारा से विपक्ष व उनके सहयोगी काम कर रहे है। वह भयभीय है कि भारतीय मोदी सरकार की नीतियों से प्रभावित होकर अपनी भारतीय संस्कृति की तरफ बढ़ रहे है व गुलामी की जंजीरों को तोड़कर देश को विकसित करने के लिए काम करना चाहते है और भारत को विकसित व भारतीयों को संगठित होता देख घुसपैठियों के हमदर्दों के पेट मे मरोड़ होने लगी है। इसीलिए वह भारत को अशांत करने के लिए महानुभाव के नाम पर झूठ फैलाकर अराजकता व अशांति फैलाना चाहते है। लेकिन अब यह मंशा युवा पीढ़ी विफल करने में सक्षम है।