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19 दिसंबर- श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई
नमो राघवाय 🙏
उतरि ठाढ भए सुरसरि रेता ।
सीय रामु गुह लखन समेता ।।
केवट उतरि दंडवत् कीन्हा ।
प्रभुहि सकुच एहि नहिं कछु दीन्हा
( अयोध्याकाण्ड 101/1)
राम राम 🙏🙏
वन जाते हुए राम जी गंगा पार जाने के लिए गंगा तट पहुँचते हैं , केवट से नाव माँगते हैं , वह कहता है कि आपका पाँव पखारने के बाद ही आपको उस पार ले जाऊँगा । पाँव पखारने के बाद केवट सभी को गंगा पार ले जाता है । नाव से उतर कर केवट उन्हें दंडवत् प्रणाम करता है । राम जी को संकोच होता है कि मैंने पार उतराई केवट को कुछ नही दिया ।
राम जी सेवा से प्रसन्न होते हैं , सेवा उन्हें सेवक के बारे में सोचने पर विवश कर देती हैं । हम आप भी तो चाहते है कि राम जी हमारे बारे में सोचें , तो पहले सेवा करें , राम सेवा में लगें । अथ ! जय राम , जय राम , जय जय राम 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी लखनऊ