राजकीय संप्रेक्षण गृह वाराणसी का वर्चुअल निरीक्षण हुआ, बच्चों के अधिकार के विषय पर विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया

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उ0 प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुसार एवं माननीय जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जौनपुर के संरक्षण में राजकीय संप्रेक्षण गृह वाराणसी का वर्चुअल निरीक्षण व राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा एक्शन प्लान माह अगस्त 2021 के तहत, ‘‘बच्चों के अधिकार‘‘ विषय पर ‘‘उ0प्र0 मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना’’ पर विशेष बल देते हुए,  श्रीमती शिवानी रावत, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जौनपुर द्वारा आज दिनांक 10.08.2021 को समय अपराह्न 12ः10 बजे वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से विधिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
वर्चुअल निरीक्षण में श्रीमती शिवानी रावत, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जौनपुर द्वारा बातचीत की गयी तथा उनकी समस्याओं के बारे में पूॅंछा गया। सचिव द्वारा बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य आदि बाल अधिकारों की जानकारी प्रदान कराया गया। बच्चों को कोरोना की तीसरी लहर के सम्भावित संक्रमण से बचाव हेतु आवश्यक सावधानियॉ जैसे मास्क, हाथ धोने, सामाजिक दूरी बनाये रखने तथा सेनेटाइजर का प्रयोग करने के बारे में बताया गया। बच्चों को शिक्षा, व्यायाम व रचनात्मक कार्यो की उपयोगिता बताई गयी, ताकि बच्चों का सम्पूर्ण शारीरिक, मानसिक विकास हो सके और वह समाज में अपनी उपयोगिता निभा सकें।
निरीक्षण के दौरान अधीक्षक मिथिलेश कुमार सिंह द्वारा बताया गया कि संप्रेक्षण गृह में 101 किशोर अपचारी जनपद जौनपुर, वाराणसी व चन्दौली के है। बच्चों को शिक्षा देने हेतु बेसिक शिक्षा परिषद से सम्बद्ध अध्यापकों की व्यवस्था होने तथा बच्चों की स्वास्थ्य सम्बन्धित समस्याओं के निराकरण हेतु चिकित्सक की व्यवस्था के बारे में तथा नये बच्चों को पहले 14 दिन क्वारंटाइन में रखे जाने के बारे मे जानकारी दी गयी।
सचिव, द्वारा बच्चों के खेलने-कूदने कि व्यवस्था बच्चां को सन्तुलित व पौष्टिक आहार, दूध, मौसमी हरी सब्जियॉ दिये जाने हेतु, उचित शिक्षा व्यवस्था बच्चों के रहने खाने खेलने के स्थान की साफ-सफाई परिसर को सेनेटाइजेशन आदि के सम्बन्ध में अधीक्षक को आवश्यक निर्देश दिये गये।
विधिक जागरूकता कार्यक्रम में सचिव द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से विधिक सहायता व निःशुल्क अधिवक्ता प्राप्त किये जाने के सम्बन्ध में जानकारी दी गयी। बच्चों को उनके अधिकारों को बताते हुए सचिव द्वारा बताया गया कि राज्य के द्वारा 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा प्रदान किया जाना बच्चों का मौलिक अधिकार है। बच्चों की उपेक्षा, शोषण, उत्पीड़न, हिंसा, बालश्रम, देह व्यापार आदि से राज्य द्वारा संरक्षण प्रदान किये जाने का अधिकार है। बच्चों को अपने शोषण का विरोध करने का अधिकार है। भारतीय कानून में बाल विवाह गैर कानूनी है, विवाह के लिए लडकों की उम्र 21 वर्ष तथा लड़कियों की 18 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए, बच्चों के साथ किसी प्रकार का दुराचार व अपमानजनक बर्ताव कानूनी अपराध है। बच्चों की लैंगिंक अपराधों से सुरक्षा के लिए ‘‘लैंगिंक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012’’ लागू किया गया है। जिसमें बालकों के साथ लैंगिंक अपराध किये जाने पर कड़ी सजा के प्रावधान है। इस अधिनियम में 18 वर्ष से कम के व्यक्तियों को बालक माना गया है। अधिनियम लिंग तटस्थ है। इसके अतिरिक्त बच्चों को अपने परिवार की भाषा तौर तरीके सीखने का पूरा अधिकार है।
सचिव द्वारा ‘‘उ0प्र0 मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना 2021’’ के बारे में बताते हुए कहा गया कि 0 से 18 वर्ष तक की आयु ऐसे बच्चें जिनके माता-पिता दोनों, माता या पिता मे से किसी एक की अथवा वैध अभिभावकों की मृत्यु 1 मार्च 2020 के पश्चात हुई है। ऐसे बच्चों को कक्षा 12 तक शिक्षा पूर्ण करने के उपरांत महाविद्यालय, विश्वविद्यालय अथवा तकनीकी संस्थान से स्नातक डिग्री या डिप्लोमा तक की शिक्षा की व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा की जायेगी।

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