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सार
एसपी सिंह बघेल ने कहा, ‘गढ़ का डर’ कुछ नहीं है। अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव जो फिरोजाबाद से हारी हैं, कन्नौज से भी हारी हैं। ये दोनों गढ़ जनता ने गिरा दिए। अखिलेश के भाई धर्मेंद्र बदायूं से हारे हैं। जनता ने गढ़ गिराया है। अक्षय यादव भी फिरोजाबाद गढ़ से हारे हैं। इस समय उनके घर में 2019 के चुनाव में तीन महारथी डिंपल यादव, अक्षय यादव और धर्मेंद्र यादव अपने अपने गढ़ों से हारे हैं…
विस्तार
उत्तर प्रदेश चुनाव में ‘करहल’ विधानसभा सीट पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव के सामने केंद्रीय विधि एवं न्याय राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल चुनाव मैदान में हैं। प्रो. बघेल का दावा है कि हमारी सौ फीसदी जीत हो रही है। 31 तारीख को अखिलेश यादव कह कर गए थे कि वे जीतने के बाद ही सर्टिफिकेट लेने आएंगे। अब दोबारा क्यों आ रहे हैं। डिंपल यादव, अक्षय यादव एमपी, धर्मेंद्र यादव एमपी, शिवपाल यादव पूर्व मंत्री, रामगोपाल यादव सांसद और तेज प्रताप सिंह पूर्व सांसद, ये पांचों करहल में ही हैं। अगर वे डेढ़ लाख की जीत का दावा कर रहे हैं, तो अखिलेश दो बार यहां क्यों आए, पूरा परिवार वोट क्यों मांग रहा है। प्रो. बघेल के काफिले पर मंगलवार को करहल थाना क्षेत्र के गांव अतिकुल्लापुर में पथराव किया गया, उनका कहना है कि ‘करहल’ में ‘खामोश इंकलाब’ चल रहा है। भारी संख्या में गुप्त मतदान होगा। लोगों को ‘खाली प्लाट हमारा है’ की थ्योरी पता है। मंगलवार को घिरोर स्थित भाजपा के चुनावी कार्यालय में अमर उजाला डॉट कॉम ने प्रो. बघेल से विशेष बातचीत की है, जिसमें उन्होंने कई बातों का खुलासा किया।
अखिलेश के लिए उनके परिवार के महारथी क्यों मांग रहे वोट
एसपी सिंह बघेल ने कहा, ‘गढ़ का डर’ कुछ नहीं है। अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव जो फिरोजाबाद से हारी हैं, कन्नौज से भी हारी हैं। ये दोनों गढ़ जनता ने गिरा दिए। अखिलेश के भाई धर्मेंद्र बदायूं से हारे हैं। जनता ने गढ़ गिराया है। अक्षय यादव भी फिरोजाबाद गढ़ से हारे हैं। इस समय उनके घर में 2019 के चुनाव में तीन महारथी डिंपल यादव, अक्षय यादव और धर्मेंद्र यादव अपने अपने गढ़ों से हारे हैं। ये डरा रहे हैं। इनकी जाति का बाहुल्य है। राज्यसभा सांसद गीता शाक्य पर हमला किया गया। मेरे ऊपर पर भी हमला हुआ है। ये उनकी बौखलाहट है।
क्या 403 सीटों पर 806 बार हेलीकॉप्टर उतारेंगे अखिलेश?
31 तारीख को अखिलेश यादव कह कर गए थे कि वे जीतने के बाद ही सर्टिफिकेट लेने आएंगे। वे छह तारीख को आए, ऐसी क्या बात हो गई कि अब 17 तारीख को दोबारा आ रहे हैं। वे ये बताएं कि जब उन्होंने उत्तर प्रदेश की सर्वश्रेष्ठ विधानसभा को चुना है तो उन्हें दो मीटिंग की आवश्यकता क्यों पड़ी। करहल में दो बार आना, मतलब कुछ दिक्कत है। क्या वे अपने अन्य उम्मीद्ववारों के यहां पर दो बार हेलीकॉप्टर उतार रहे हैं। क्या वे बाकी की सीटों पर भी दो बार हेलीकॉप्टर उतार रहे हैं। क्या वे 403 सीटों पर दो बार के हिसाब से 806 बार जाएंगे। उन्होंने कहा था कि कार्यकर्ता चुनाव लड़ेगा। क्या ये कार्यकर्ता की श्रेणी में आते हैं। डिंपल यादव, अक्षय यादव एमपी, धर्मेंद्र यादव एमपी, शिवपाल यादव, रामगोपाल यादव और तेज प्रताप सिंह, पांचों करहल में ही हैं। सपा अगर डेढ़ लाख वोटों से जीत का दावा कर रही है तो अखिलेश दो बार यहां क्यों आए, चुनाव में पूरा परिवार वोट क्यों मांग रहा है। भाजपा नेताओं पर पत्थराव क्यों कर रहे हैं। ये उनकी बौखलाहट है।
ये नई सपा नहीं है, वही सपा है और ‘सफा’ हो जाएगी
डीपी यादव की टिकट काटकर अखिलेश ने क्या संदेश दिया था कि मैं एन्वायरमेंट इंजीनियर हूं। पहले ही दिन पूत के पांव पालने में दिख गए थे। शपथ वाले दिन ही मंच तोड़ डाला था। ये नई सपा नहीं, वही सपा है, और ये ‘सफा’ होने जा रही है। कोई कैसे विश्वास करे। जब चुनाव से पहले ही हिंसक गतिविधियां कर रहे हैं, तो क्या चुनाव के बाद इनका हृद्रय परिवर्तन हो जाएगा। यहां कोई लड़की सुरक्षित नहीं, मकान सुरक्षित नहीं, प्लॉट सुरक्षित नहीं, जानवर सुरक्षित नहीं, मूंछ सुरक्षित नहीं, खेत सुरक्षित नहीं, कल्याण सुरक्षित नहीं, कुंडल सुरक्षित नहीं, मान-सम्मान सुरक्षित नहीं। कितनी बार इनकी बेईमानी की सर्जरी होगी।