शहीद की शव यात्रा में उमड़ा जन सैलाब, पांच किमी लंबे अंतिम सफर में लोगों ने बरसाए फूल

Getting your Trinity Audio player ready...

देवरिया। देवरिया जिले के शहीद संतोष यादव का पार्थिव शरीर सोमवार को उनके गांव पहुंचा। शव यात्रा में जनसैलाब उमड़ गया। सुबह छह बजे रुद्रपुर में पार्थिव शरीर को लेकर पहुंची सेना की गाड़ी को देखते ही शहीद संतोष अमर रहे का नारा गूंजने लगा। करीब पांच किलोमीटर लंबी शव यात्रा के दौरान लोग फूल बरसा कर अमर शहीद को नम आंखों से श्रद्धांजलि देते रहे। सड़क के दोनों तरफ रुद्रपुर के लाल का अंतिम दर्शन करने को महिलाओं की भीड़ लग गई।

बता दें कि जम्मू कश्मीर के शोपियां में सेना और आंतकियों के बीच हुई मुठभेड़ में रुद्रपुर का लाल शहीद हो गया था। शनिवार की सुबह सेना के सर्च ऑपरेशन के दौरान हुई घटना में सेना के हवलदार रुद्रपुर के टड़वा के बरईपार गांव निवासी संतोष यादव को गोली लग गई थी। कुछ देर बाद वह शहीद हो गए थे।
शहीद संतोष का सपना पूरा करेंगी पत्नी धर्मशीला
अमर शहीद संतोष यादव की पत्नी धर्मशीला शहीद के सपनों को पूरा करेंगी। उन्होंने कहा कि संतोष का सपना था कि उनकी दोनों बेटियां डॉक्टर बनें। वह आठ साल की पलक और छह साल की जाह्नवी को डॉक्टर बनाने के लिए शुरू से अच्छे संस्थान में दाखिला कराना चाहते थे।
शहीद की पत्नी ने सरकार से मांग की है कि दोनों बेटियों को चिकित्सा शिक्षा दिलाने के लिए सुविधा मुहैया कराई जाए। उन्होंने शहीद के सपने को पूरा करने लिए खुद की सरकारी नौकरी की मांग की है। कहा है कि वह अपने पति की शहादत को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहती हैं। उनके सपनों को पूरा करना ही मेरे जीवन का अंतिम उद्देश्य है।
बहन को खाए जा रहा भाई के जाने का गम
अमर शहीद संतोष यादव की छोटी बहन माया की हालत नाजुक हो गई है। वह भाई की शहादत की खबर मिलने के बाद से ही सुधबुध खो चुकी है। रविवार को उसकी हालत इतनी बिगड़ गई कि अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। डाक्टर उसे ड्रिप चढ़ा रहे हैं। वह सदमे में है। शहीद की तीन बहनें हैं। दो की शादी हो चुकी है। छोटी बहन माया अविवाहित है।
पैतृक गांव में मातम का माहौल
अमर शहीद संतोष के पिता शेषनाथ एकौना थाना क्षेत्र के सचौली पटवनिया गांव के मूल निवासी हैं। वह वर्ष 1998 की बाढ़ के बाद अपने ससुराल टड़वा में बस गए। संतोष यादव की शहादत से उनके पैतृक गांव में मातम का माहौल है। सचौली पटवनिया के लोग टड़वा पहुंचकर शेषनाथ को ढांढस बंधा रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *