यूपी का रण : ध्रुवीकरण से तय होगी हार-जीत, कुछ ऐसा है लखनऊ पश्चिम- पूर्व, धौरहरा और पलिया में मतदाताओं का मिजाज

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लखनऊ लखनऊ की पश्चिम विधानसभा सीट पर इस बार जीत-हार के समीकरण ध्रुवीकरण से ही तय होगा। मुस्लिम मतदाताओं की बहुलता के कारण उनके रुख पर सबकी नजरें हंै। सपा, बसपा और कांग्रेस ने मैदान में मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। सपा मुस्लिम और पार्टी के परंपरागत मतदाताओं को जोड़कर जीत की राह देख रही है। वहीं, भगवा खेमे की नजर मुस्लिम वोटों के बंटवारे पर है। भाजपा इसके साथ ही ध्रुवीकरण से सीट पर कब्जा बरकरार रखने की आस लगाए हुए है।

राजाजीपुरम कॉलोनी व पुराने लखनऊ के साथ ही हरदोई रोड के आसपास नव विकसित इलाकों वाली इस सीट पर 2017 में भाजपा के सुरेश श्रीवास्तव ने जीत दर्ज की थी। उससे पहले अगर चलें तो 2012 में सपा के रेहान नईम जीते थे। 2012 में परिसीमन होने से पहले विधानसभा क्षेत्र में राजाजीपुरम कॉलोनी नहीं आती थी। पूरा पुराना लखनऊ इसी सीट में था। यहां पूर्व राज्यपाल व सांसद रहे भाजपा के लालजी टंडन लंबे अरसे तक जीत दर्ज कराते रहे। बाद में राजाजीपुरम, सआदतगंज आदि इलाके पश्चिम में शामिल होने के बाद भाजपा में इसे कायस्थ बहुल सीट बताते हुए प्रतिनिधित्व मांगा गया और मध्य से लड़ने वाले सुरेश श्रीवास्तव यहां से चुनाव लड़ने लगे। कोविड काल में उनके निधन के बाद भाजपा में फिर से कायस्थ उम्मीदवार की मांग उठी। पार्टी ने कायस्थ के लिए ही सीट रिजर्व रखते हुए पुराने कार्यकर्ता अंजनी श्रीवास्तव को उम्मीदवार बनाया।

चूंकि, टिकट के लिए पार्टी से इस बार कई दावेदार थे और सफलता न मिलने से खिन्न हैं। ऐसे में वे खुद तो प्रत्याशी के साथ दिख रहे हैं, लेकिन उनके समर्थक गायब हैं। सपा ने पिछली बार बसपा से चुनाव लड़े अरमान खान को उम्मीदवार बनाया है। अरमान के लिए कहा जा रहा है कि वह पूरे पांच साल क्षेत्र में सक्रिय रहे। यही नहीं जरूरतमंदों के लिए मदद करने और हिंदू-मुस्लिम दोनों वर्गों के धार्मिक आयोजनों में सहयोग किया। इसलिए उनकी लोगों के बीच व्यक्तिगत पैठ बतायी जा रही है। हालांकि, उनको टिकट दिए जाने पर पूर्व विधायक रेहान के खेमे ने नाराजगी भी जतायी थी। व्यापारी उमेश के अनुसार सपा, भाजपा दोनों में अंदरखाने विरोध चल रहा है। अगर आपसी विरोध जारी रहा तो प्रत्याशियों को नुकसान होगा। जैसा माहौल है उसमें भाजपा और सपा में ही मुकाबला होता नजर आ रहा है। मुस्लिम मतदाता ज्यादा हैं, लेकिन सपा, बसपा और कांग्रेस-तीनों के प्रत्याशी मुस्लिम होने से वोटों का बंटवारा होता दिख रहा है।

बसपा ने यहां से पांच बार ग्राम प्रधान रह चुके कायम रजा खान को मैदान में उतारा है। कायम रजा भी लंबे अरसे से लोगों की मदद और समाजसेवा में जुटे रहे हैं। वहीं, कांग्रेस ने शहाना सिद्दीकी को प्रत्याशी बनाया है। शहाना के पति नईम सिद्दीकी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष रह चुके हैं। राजाजीपुरम निवासी प्रदीप सिंह कहते हैं कि इस बार क्षेत्रीय मुद्दों पर कोई चर्चा हो नहीं रही है। चुनाव की बात करें तो यह सिर्फ हिंदू-मुस्लिम के आधार पर चल रहा है। अगल-बगल की सीटों पर अलग-अलग समीकरण पश्चिम विधानसभा से सटी सीटों में लखनऊ मध्य व मलिहाबाद हैं। चुनाव में इस बार मध्य में भी पश्चिम की तरह भाजपा-सपा में मुकाबला दिख रहा है। वहीं, मलिहाबाद में केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर की पत्नी व वर्तमान विधायक जयदेवी कौशल चुनाव लड़ रही हैं। यहां भी मुकाबला भाजपा व सपा में है।

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