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उत्तर प्रदेश के बागपत का जिला मुख्यालय के आयुर्वेदिक अस्पताल का बुरा हाल है। यहां डॉक्टर नहीं मिलते। फार्मासिस्ट और स्टाफ नर्स उपचार करते हैं। यह हाल तब है जब बागपत के आयुर्वेदिक अस्पताल पर सरकार ने लाखों रुपये खर्च करके इसलिए ही हालत सुधारी थी, जिससे वहां मरीजों को बेहतर उपचार मिल सके। मरीज भी पहुंच रहे हैं, तो दवाइयां भी मौजूद है, लेकिन डाक्टरों के कारण व्यवस्था बिगड़ रही हैं।
बागपत में कोर्ट रोड पर 25 बेड के आयुर्वेदिक अस्पताल की हालात कई साल पहले तक हालत काफी खराब थी। सरकार ने लाखों रुपये खर्च करके अस्पताल की हालत सुधारी, जिससे मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिल सके। इसके लिए दवाइयों का कोटा भी पूरा किया गया। सरकार ने अपने स्तर से अस्पताल की हालत को भले ही सुधार दिया, लेकिन डॉक्टर के कारण व्यवस्था बिगड़ी हुई है। यही कारण है कि अस्पताल में इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों को या तो डॉक्टर नहीं मिलते या फिर नर्स और स्टाफ उन्हें मामूली उपचार कराकर भेज देते हैं।
अस्पताल में पहले ही स्टाफ की कमी है। एक ही डॉ. मोनिका गुप्ता की नियुक्ति है। इनके अलावा स्टाफ नर्स अमरेश, चीफ फार्मासिस्ट देशबंधु, दो योग शिक्षक रितु व अरुण की तैनाती है। इस तरह से कम स्टाफ होने के बावजूद भी आयुर्वेदिक अस्पताल में डॉक्टर को मरीज ढूंढते रहते हैं। वह अस्पताल में नहीं मिलती हैं और उनकी जगह स्टाफ नर्स अमरेश व चीफ फार्मासिस्ट देशबंधु ही मरीजों का उपचार करके दवाइयां देते हैं। वहां सोमवार को सुबह आठ बजे अस्पताल खुल गया था, लेकिन डॉ. मोनिका गुप्ता करीब सवा दस पहुंची। तब तक स्टाफ नर्स व फार्मासिस्ट ही मरीजों को देखकर दवाइयां देते रहे।
योग शिक्षक सवा नौ बजे पहुंचे तो लिपिक साढ़े दस तक गायब रहा
आयुर्वेदिक अस्पताल में तैनात योग शिक्षक अरुण भी नियमित समय की जगह करीब सवा नौ बजे पहुंचे। इनके अलावा कार्यालय में तैनात लिपिक देवेंद्र साढ़े दस बजे तक भी नहीं पहुंचे, जबकि उस वक्त तक रजिस्टर में उपस्थिति को लेकर किसी भी तरह की स्थिति साफ नहीं थी। इस तरह से आयुर्वेदिक अस्पताल व कार्यालय की स्थिति काफी बिगड़ी हुई है।
डाक्टर नहीं मिलने पर वापस लौट गए मरीज
बागपत के पुराने कस्बे के साजिद को हाथ पर एलर्जी व पेट में परेशानी थी। उसने बताया कि दवा लेने पहुंचा तो डाक्टर नहीं मिली और उसे फार्मासिस्ट ने देखकर दवाई दी। डौला गांव के मेहरदीन के पिता वकील अहमद के लीवर में समस्या थी। वह अस्पताल में पहुंचा तो फार्मासिस्ट ने बताया कि उसके पिता को केवल डाक्टर ही देख सकते हैं। वहां डाक्टर के नहीं होने के कारण उसे परेशान होकर वापस लौटना पड़ा।
निरीक्षण करने गई थी : डॉ. मोनिका
आयुर्वेदिक अस्पताल की डॉ. मोनिका गुप्ता ने कहा कि वह घर से आते हुए पूरनपुर नवादा गांव में निर्माणाधीन अस्पताल का निरीक्षण करने गई थी। नवादा के बाद वह बड़ौत में आयुर्वेदिक अस्पताल की जगह देखने के लिए गई, जहां मिट्टी डालने की जानकारी मिली थी। हालांकि पूरनपुर नवादा के प्रधान सोनू प्रजापति का कहना है कि उनके यहां सुबह के समय आयुर्वेदिक अस्पताल का निरीक्षण करने के लिए कोई नहीं आया।