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कोर्ट से राजन तिवारी के खिलाफ 17 साल से वारंट जारी हो रहा था, लेकिन अपने रसूख के बल पर हर बार वह फाइल को दबवा देता था। एडीजी जोन अखिल कुमार को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने छानबीन शुरू कराई। इसके बाद पूरा मामला खुलकर सामने आया और फिर एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने गिरफ्तारी के लिए टीम गठित कर दी। एसपी सिटी कृष्ण कुमार विश्नोई ने कहा कि एडीजी के आदेश पर ऑपरेशन शिकंजा के तहत राजन तिवारी केस को सूचीबद्ध कर पुलिस कोर्ट में प्रभावी पैरवी करेगी।
जानकारी के मुताबिक, एडीजी की जांच में ही राजन पर 1998 में दर्ज गैंगस्टर के मुकदमे में जारी गैर जमानती वारंट का भी पता चला। इस मामले में जब अफसरों ने कैंट पुलिस से पूछा तो पता चला कि उन्हें किसी वारंट की जानकारी ही नहीं है। इसके बाद पूरा खेल पकड़ में आया और राजन तिवारी की गिरफ्तारी के लिए सीओ कैंट के नेतृत्व में एसएसपी ने एक टीम बनाई। पिछले एक महीने से यह टीम राजन तिवारी को ट्रैक कर रही थी। बिहार में लोकेशन मिलने के बाद टीम ने बिहार पुलिस की मदद से उसे बृहस्पतिवार को गिरफ्तार कर लिया।
डेढ़ किलोमीटर पैदल चलाया
पुलिस ने लोगों के मन से माफिया का खौफ खत्म करने के लिए राजन को डेढ़ किलोमीटर तक पैदल चलाया। छात्रसंघ से कैंट थाने और फिर कोर्ट तक पुलिस उसे पैदल ही लेकर गई। एसपी सिटी कृष्ण कुमार विश्नोई ने बताया कि आरोपी के खिलाफ वारंट जारी था। पुलिस ने गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेजा गया।