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शहरी इलेक्ट्रानिक वाहनों की चार्जिंग और स्वैपिंग स्टेशन बनाने के लिए रियायती दरों पर भूमि पट्टे पर दिए जाएंगे। सरकारी संस्थानों को 10 साल के लिए एक रुपये प्रति किलोवाट की दर पर पट्टे दिए जाएंगे। जबकि निजी संस्थाओं को यह रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल पर दस साल के लिए एक रुपये प्रति किलोवॉट की दर पर पट्टे दिए जाएंगे। फिलहाल प्रदेश के 17 नगर निगमों को जमीन चिह्नित करने के निर्देश दे दिए गए हैं।
इस संबंध में विशेष सचिव नगर विकास डा. राजेंद्र पैंसिया ने आदेश जारी किया है,जिसमें चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के संबंध में दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इसमें कहा गया है कि सार्वजनिक स्थानों, पार्किंग स्थलों, मेट्रो स्टेशनों, बस डिपो, टर्मिनल, पेट्रोल पंपों, सरकारी भवनों, कार्पोरेट भवनों, शैक्षिक संस्थानों, स्वास्थ्य संस्थानों, शॉपिंग मॉल के साथ ही वाणिज्यिक स्थानों, ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों आदि में चार्जिंग व स्वैपिंग सुविधा दी जाएगी। इसके लिए चार्जिंग सुविधाओं की स्थापना के लिए सेवा प्रदाताओं को भूमि उपलब्ध कराई जाएगी।
चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए सरकारी संस्थाओं की भूमि 10 साल के लिए पहले पट्टे पर दी जाएगी। किराया पट्टा अवधि, राजस्व बंटवारा दर व अन्य निर्धारित मानकों के माध्यम से समय-समय पर तय की जाएगी। राज्य सरकार वर्ष 2030 तक पूरी तरह से इलेक्ट्रिक गाड़ियां चलाना चाहती है। इसके साथ ही पूरी तरह से ई-बसों को चलाने की तैयारी है।
इसके अलावा शासन ने लखनऊ के लिए व्यापक इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्लान (सीईएमपी) बनाने का भी फैसला किया है। बाद में ऐसा ही प्लान दूसरे शहरों के लिए भी तैयार किया जाएगा। सीईएमपी में हरित मार्गों का चिन्हीकरण और इलेक्ट्रिक वाहनों के संचालन के लिए सुगम मार्ग आदि का चिह्निकरण किया जाएगा।