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सेप्टीसीमिया एवं बैक्टीरियोफेज थेरेपी विषयक व्याख्यान का हुआ आयोजन
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के तत्वावधान में सेप्टीसीमिया एवं बैक्टीरियोफेज थेरेपी विषयक व्याख्यान का आयोजन किया गया। बतौर मुख्य वक्ता काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गोपालनाथ ने कहा कि एंटीबायोटिक के प्रति विभिन्न रोगों के कारकों में प्रतिरोध के कारण छोटी सी बीमारी भी खतरनाक साबित हो रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हम पुनः 1940 के प्री एंटीबायोटिक के दौर से गुजर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गंगा के पानी में पाए जाने वाले बैक्टीरियोफाज़ के कारण गंगा का पानी विभिन्न बीमारियों के जीवाणु को मारने में सक्षम है। उन्होंने बताया कि खान-पान का असर हमारे शरीर में संबंधित होने वाले जीवाणुओं पर पड़ता है। उनका मानना है कि सेप्टीसीमिया एक गंभीर रक्त प्रवाह संक्रमण है। इसे बैक्टीरिया या रक्त विषाक्तता के रूप में भी जाना जाता है। सेप्टिसीमिया तब होता है जब शरीर में कहीं और बैक्टीरिया संक्रमण फेफड़ों या त्वचा में होता है, जो रक्त में प्रवेश करता है।
व्याख्यान का संचालन डॉ एस.पी. तिवारी एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो. राजेश शर्मा ने किया। इस अवसर पर प्रो. वंदना राय, प्रो. राम नारायण,प्रो. प्रदीप कुमार, डॉ. मनीष कुमार गुप्ता, डॉ. ऋषि, डॉ. प्रभाकर, डॉ. ईशानी, डॉ. दिनेश, डॉ. अवधेश, डॉ. राजेश, डॉ. विजयशंकर, डॉ. विवेक सहित विभाग के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।