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19 मार्च- श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई
नमो राघवाय 🙏
गुर पद पंकज सेवा
तीसरि भगति अमान ।
चौथि भगति मम गुन गन
करइ कपट तजि गान ।।
( अरण्यकांड, दो. 35)
राम राम 🙏🙏
राम जी सीता जी को खोजते हुए शबरी जी के आश्रम आए हैं । शबरी जी कहती हैं कि मैं कैसे आपकी स्तुति करु ? मुझे कुछ आता नही है । राम जी उन्हें नवधा भक्ति बताते हैं । वे कहते हैं कि तीसरी भक्ति अभिमान रहित होकर गुरु चरणों की सेवा करना तथा चौथी भक्ति कपट छोड़कर मेरे गुणसमूहों का गान करना है ।
भक्ति वही कर सकता है जो मान रहित हो जाए । अपना मान रखते हुए भक्ति नहीं होती है । मान रखना ही है तो अपने श्रेष्ठ का मान रखें । जब अपने मान की चिंता नही तब कपट स्वत: छूट जाता है व जीव राम चरणों में लग जाता है । अतएव अमान रहें , श्रेष्ठ को मान रखें, भक्ति स्वत: आपके अंदर आ जाएगी । अत: मानरहित भाव से राम गुणगान करें । अथ ! राम राम जय राम राम 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी लखनऊ