शिव आराधना से लौकिक,पारलौकिक सुख ऐश्वर्य व आनंद प्राप्त होता है :आचार्य अशोक

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शिव आराधना से लौकिक,पारलौकिक सुख ऐश्वर्य व आनंद प्राप्त होता है :आचार्य अशोक

ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय

लखनऊ। हरदोई के पुरवा पिपरिया में आयोजित शिवोत्सव में शिव सत्संग मंडलाध्यक्ष आचार्य अशोक ने कहा कि सभी सत्संग परिवार संस्कारित होकर समाज व देश के निर्माण में योगदान दें।समाज निर्माण में अपनी महती भूमिका निभाएं। सनातन संस्कृति में कर्म प्रधान है।कर्म ही आपका धर्म है।
आचार्य अशोक ने कहा कि देवों के देव महादेव सभी के परमपिता हैं।महादेव की शक्ति भारतीय ग्रंथों में वर्णित है।प्रभु से यही विनती है कि जनकल्याण करने का आशीर्वाद देते रहें।कहा कि सत्संग से विभिन्न स्थानों पर जाने का अवसर प्रभु कृपा से ही मिलता है।
श्रद्धावान, साधना में तत्पर और जितेन्द्रिय मनुष्य ज्ञानको प्राप्त होता है, ज्ञानको प्राप्त होकर वह तत्काल ही उत्कृष्ट शांतिको प्राप्त होता है ।
उन्होंने कहा कि शिव आराधना से लौकिक,पारलौकिक सुख ऐश्वर्य व आनंद प्राप्त होता है।शिव स्तुति करने सेे मन
में प्रसन्नता की लहर दौड़ जाती है। परमात्मा का प्रकाशस्वरूप
से ध्यान करने मात्र से जीवन में अलौकिक बदलाव आता है।आचार्य जी ने कहा कि धर्म पर जो चला वह उन्नति की ओर बढ़ा।ध्यान और भजन से मनुष्य एक बेहतर इंसान बनता है। अटूट श्रद्धा और विश्वास से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं।
लखनऊ अध्यक्ष राजेश पांडेय ने कहा कि शिव वह है जो प्रकाशित है । शिव स्वयंसिद्ध एवं स्वयंप्रकाशी हैं । वे स्वयं प्रकाशित रहकर संपूर्ण विश्व को भी प्रकाशित करते हैं । शिव अर्थात मंगलमय एवं कल्याणस्वरूप तत्त्व । शिव अर्थात ईश्वर अथवा ब्रह्म एवं परमशिव अर्थात परमेश्वर अथवा परब्रह्म । संपूर्ण विश्व में भग‍वान शिव का विविध नामों से पूजन किया जाता है । शिवजी में पवित्रता, ज्ञान एवं साधना, ये तीनों गुण परिपूर्णतः विद्यमान हैं । इसलिए उन्हें ‘देवोंके देव’, अर्थात ‘महादेव’ कहते हैं । भगवान शिव सहजता से प्रसन्न होनेवाले देवता हैं, इसलिए उन्हें आशुतोष भी कहते हैं । भगवान शिव मृत्यु के देवता हैं, अतः उन्हें मृत्युंजय कहते हैं । शिवजी भक्तोंके अज्ञानको, अर्थात सत्त्व, रज एवं तम गुणोंको एक साथ नष्ट कर देते हैं, इसलिए उन्हें त्रिगुणातीत करते हैं ।
लखीमपुर के जिला अध्यक्ष जमुना प्रसाद जी ने कहा कि साधना के पथ पर अग्रसर होकर हमें जो भी ऐश्वर्य,ज्ञान,धन आदि मिले, उससे शुभ कार्य करें। यज्ञ करें।समाज की सेवा करें।जरूरत मंद पर व्यय करें। हमें गर्व होना चाहिए कि हम त्रिकालदर्शी ऋषियों की संतान हैं।हम परमेश्वर के विशुद्ध तेज का ध्यान करें।परमेश्वर हमारी बुद्धियों को सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करे।
शाहजहांपुर की बहन मीरा देवी ने संतों और सत्संग की महिमा बताई।जिलाध्यक्ष डॉ कालिका प्रसाद ने कहा कि सज्जनो से जुड़ें और समाज को अच्छा बनायें। नन्हे लाल ने कहा कि धर्म अध्यात्म में लोक कल्याण सर्वोपरि होता है। सुदामा देवी ने भजन से लाभ बताए। सोनपाल ने सत्संग करने और सत्संग कराने से लाभ बताए।
इस शिवोत्सव का शुभारम्भ अध्यात्म प्रचारक प्रेम भाई ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। बहन श्रुति ने सामूहिक ईश प्रार्थना प्रस्तुत की।
सत्संगी रोहित वर्मा, श्रीकृष्ण, रामचन्द्र, भैया प्रांशु, अभिषेक, सौम्य, आदित्य, शिवा एवं बहन शिव महिमा , कामिनी, स्नेहा, कुमकुम, साक्षी आदि ने प्रेरणादायी भजन सुनाकर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर लिया।इस कार्यक्रम का संचालन रवि वर्मा एवं अम्बरीष कुमार सक्सेना ने संयुक्त रूप से किया। शिवोत्सव की अध्यक्षता नरसियामऊ के सत्संगी राम निवास ने की।
समापन पर सभी सत्संगी जनों ने रोजाना ब्रह्ममुहूर्त में उठकर प्रभु का सुमिरन करने का शिव संकल्प लिया।
इस धर्म उत्सव में व्यवस्थापक यमुना प्रसाद, अजय पाल महात्मा नाहर सिंह गेंदन लाल राम प्रताप, राजकुमार देव सिंह,अमित,मोहित, रामकुमार कुलदीप महेश, हरिओम ओंकार ,हंसराम, डॉ रामावतार,योग प्रशिक्षक सत्यम सहित सैकड़ो लोगों ने सहभागिता की।

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