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16 जून – श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई
नमो राघवाय 🙏
उमा जोग जप दान तप
नाना मख ब्रत नेम ।
राम कृपा नहिं करहिं तसि
जसि निष्केवल प्रेम ।।
( लंकाकांड , दो 117 )
राम राम 🙏🙏
लंका विजय के बाद विभीषण राम जी से लंका चलने का आग्रह करते हैं । राम जी भरत के बारे में बताते हैं तब विभीषण पुष्पक विमान से राम जी के कहने पर आकाश में जाकर वस्त्र आभूषण आदि गिरा देते हैं । मणियों को मुँह में डालकर वानर उन्हें उगल देते हैं , राम जी हँसते हैं । शिव जी कहते हैं कि पार्वती! अनेकों प्रकार के योग , जप , दान तप , यज्ञ व्रत और नियम करने पर राम जी वैसी कृपा नहीं करते हैं जैसा अनन्य प्रेम होने पर करते हैं ।
राम जी को अनन्यता भाती है जबकि हमें आपको बहुलता लुभाती है । परंतु यदि आप राम प्रेम पाना चाहते हैं तो अनन्य बनें , अन्य साधन छोड़ केवल राम जी से प्रेम करें । अथ! जय जय राम, जय जय राम 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी लखनऊ