धारा 73 के तहत जो घोषणा वित मंत्री के द्वारा की गयी है उसमें काॅसिंल बहुत देर से जागा: व्यापारी नेता अमरनाथ मिश्रा

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धारा 73 के तहत जो घोषणा वित मंत्री के द्वारा की गयी है उसमें काॅसिंल बहुत देर से जागा: व्यापारी नेता अमरनाथ मिश्रा

ब्यूरो चीफ आर एल पांडेय

लखनऊ। लखनऊ व्यापार मण्डल के अध्यक्ष अमरनाथ मिश्र ने अपने बयान में बताया कि जीएसटी काॅसिंल के 53वीं बैठक में लिए गये निर्णय के परिपेक्ष में धारा 73 के तहत अर्थदण्ड एवं व्याज पर छूट दी गयी है उपरोक्त विषय में वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 में तमाम व्यापारियों को डिमांड दी गयी थी वह जमा हो चुकी है।
1. क्या व्यापारी के द्वारा जमा कराया गया अर्थदण्ड एवं व्याज वापस किया जायेगा, और वित्तीय वर्ष 2019-20 में भी तमाम नोटिस जारी की जा चुकी है जिसमें व्यापारी अन्तिम तिथि को देखते हुए अर्थदण्ड को बचाने के लिए राशि जमा कर नोटिस निस्तारित कर चुके है।
अभी नोटीफिकेशन नहीं आया है, स्पष्ट नहीं है कि जमा व्याज एवं अर्थदण्ड वापस होगा। यदि वापस नहीं हुआ तो व्यापारी को इसका कोई लाभ नहीं होगा।
2. यहाॅ पर यह भी विचार करने योग्य है कि जब जीएसटी लागू हुआ था तब लगभग 2वर्ष पोर्टल सर्वर ही नहीं सही से काम किया था ऐसे में यह कदम यदि दो वर्ष पहले उठाया जाता तो इसका व्यापारी को अधिक लाभ मिलता।
3. धारा 16-4 में 30नवम्बर, 2021 तक जो आईटीसी लेने से रह गयी है वह 30.11.2021 तक की मान ली जाएगी यह स्वागत योग्य कदम है
4. काॅसिल के द्वारा 20 लाख ट्रमिनल, 1 करोड़ हाईकोर्ट, 2 करोड़ सुप्रिमकोर्ट तक अपील न करने का आदेश स्वागत योग्य है। इससे छोटे व्यापारियों को फायदा मिलेगा और कोर्ट के चक्कर नहीं लगाने पड़ेगे।
5. रिर्टन फाइलिंग में देर होने पर लेट फीस में कम किये जाने का निर्णय स्वागत योग्य है।
6. कम्पोजीशन में वार्षिक रिर्टन जीएसटी-4 अन्तिम तिथि 30अप्रैल से बढ़ाकर 30 जून की गयी है जो कि निर्णय लेने पर स्वागत योग्य है।
यहाॅ यह कहना होगा कि धारा 73 के तहत जो घोषणा वित मंत्री के द्वारा की गयी है उसमें काॅसिंल बहुत देर से जागा।
जब व्यापारियों का शोषण पूरे भारत देश में अधिकारियों के द्वारा किया जा चुका है यह कदम 3वर्ष पहले उठाना चाहिए था। काॅसिंल को धारा 74 के तहत भी व्यापारियों का 3वर्ष के लिए यदि व्यापारी का बैंक पेमेन्ट एवं ई-वेबिल या ट्रान्सपोर्ट बिल्टी हो और विक्रेता व्यापारी का जीएसटीएन उस वक्त कार्यरत हो तो उसको धारा 73 की भांति व्याज एवं अर्थदण्ड में छूट मिलनी चाहिए।
अन्त में क्या वर्षा जब कृषि सुखानी व्यापारी चिल्लाते रहे काॅसिंल सोती रही।

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