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नई दिल्ली : देश में कोरोना वायरस के साथ-साथ ब्लैक फंगस का खतरा और आंकड़ा दोनों ही बढ़ गए हैं। कई राज्यों में ब्लैक फंगस के मामले हैं। सरकार के मुताबिक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ब्लैक फंगस के 8,848 मामले हैं। कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा दिख रहा है।
ये फंगल संक्रमण इतना खतरनाक है कि कई मामलों में लोगों की आंखों की रोशनी तक चली गई और कई मरीजों ने दम तोड़ दिया। इस बीमारी के तहत आंख निकालने तक की नौबत आ जाती है। ऐसे में आईसीएमआर ने म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस को लेकर गाइडलाइंस जारी की हैं, आइए जानते हैं…
ब्लैक फंगस से सबसे ज्यादा प्रभावित कौन?
आईसीएमआर की ओर से जारी नए नियमों के मुताबिक, ब्लैक फंगस उन मरीजों में फैलता है, जो पहले से किसी दूसरी बीमारियों की दवा ले रहे हैं। उन कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा देखा जा रहा है, जिन्हें लक्षणों के इलाज के लिए स्टेरॉयड दिया गया।
किस वर्ग के लोगों को सबसे ज्यादा खतरा?
ब्लैक फंगस कोरोना से पीड़ित उन लोगों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है, जो शुगर और कैंसर से पीड़ित हैं। डॉक्टर की माने को जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, उन्हें ज्यादा खतरा है।
ब्लैक फंगस के लक्षण क्या-क्या है?
लक्षणों की बात करें तो इसमें सिरदर्द, चेहरे पर दर्द, नाक बंद, आंखों की रोशनी कम होना या फिर दर्द होना, मानसिक स्थिति में बदलाव या थकान होना, गाल और आंखों में सूजन, दांत दर्द, दांतों का ढीला होना, नाक में काली पपड़ी जमना, सांस लेने में तकनीफ, खांसी और खून की उल्टी होना।
बचाव के लिए क्या करना चाहिए?
- खून में ग्लूकोज की मात्रा नियंत्रित रखें।
- स्टेरॉयड के इस्तेमाल पर निगरानी रखें।
- डॉक्टर की दवाओं को समय से लें।
- धूल भरी जगहों पर मास्क का इस्तेमाल जरूर करें
- घर के अंदर और बाहर साफ-सफाई रखें।
- खेती या बागवानी के बाद खुद को स्वच्छ करें।
बचाव के लिए क्या ना करें?
- ब्लैक फंगस का कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
- बंद नाक को नजरअंदाज ना करें, खासकर कोरोना मरीज इसे गंभीरत से लें।
- अगर ब्लैक फंगस का पता चलता है तो इलाज में बिल्कुल देरी ना करें।