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“*आज से चल रहे हैं शनि देव अपनी वक्री चाल* ,
ब्यूरो चीफ आर एल पांडेय
लखनऊ। शनि सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह हैं यह एक राशि में करीब ढाई वर्षों तक रहते हैं। न्याय और कर्मफलदाता शनि वक्री चाल 29 जून को रात 12 बजकर 35 मिनट से अपनी स्वराशि कुंभ में वक्री गोचर करेंगे, यह वक्री अवस्था 139 दिनों तक चलेगी, अर्थात् शनि देव 30 जून से 15 नवंबर को शाम 7 बजकर 51 मिनट तक कुंभ राशि में वक्री अवस्था में रहेंगे। ज्योतिषायन के पण्डित दीपक मालवीय ने बताया कि जब शनि ग्रह वक्री चाल में होते हैं, तो उनके प्रभाव अति तीव्र और प्रतिकूल हो जाते हैं. शनि की इस वक्री चाल से कई राशियों की समस्याएं बढ़ सकती हैं जिसका करियर, स्वास्थ्य, प्रेम, व्यक्तिगत संबंध और आर्थिक मामलों प्रभाव पड़ता है शनि के कुंभ राशि में विराजमान होने से मकर, कुंभ और मीन राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। शनि का कुम्भ में गोचर 17 जनवरी 2023 से 29 मार्च 2025 तक रहेगा। वहीं कर्क और वृश्चिक राशि वालों पर शनि की ढैय्या चल रही है। शनि के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए भगवान शिव जी को जलाभिषेक करें, महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें., सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करे, शनि मंत्रो का जाप करे, लोहा, सरसों तेल, काली उड़द, काली तिल, काले वस्त्र, कंबल, कला छाता आदि का दान करना शुभ माना गया है, लोहे की कटोरी में सरसों का तेल भरकर उसमें अपनी छवि देखें और फिर इस तेल को कटोरे सहित दान कर दें (छाया दान ). या पीपल के नीचे रख दें, कौए, काले कुत्ते की सेवा करें 7 मुखी रूद्राक्ष पहनने से भी शनि की पीड़ा कम होती है। ज्योतिष में ग्रहों की चाल (सूर्य और चंद्रमा सदैव मार्गी रहते है) को दो भागों में बांटा गया है, पहला वक्री यानी उल्टा और दूसरा मार्गी यानी सीधी चाल. ग्रहों का वक्री होना कुंडली या राशि में उस ग्रह की उल्टी चाल को दर्शाता है खगोलीय दृष्टि से शनि की उल्टी चाल का अर्थ है परिक्रमण मार्ग से विपरीत या फिर पीछे की ओर बढ़ता हुआ प्रतीत देना. जब कोई ग्रह वक्री अवस्था में होता है या अति धीमी गति से चलता है तो वह पृथ्वी के करीब होता है और इसलिए उसका प्रभाव बढ़ जाता है।