श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई

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17 जुलाई- श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई
नमो राघवाय 🙏

कोटि बिप्र बध लागहिं जाहू ।
आएँ सरन तजउँ नहिं ताहू ।।
सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं
जन्म कोटि अघ नासहिं तबहीं ।।
( सुंदरकांड 43/1)
राम राम 🙏🙏
बिभीषण राम जी की शरण में आए हैं । सुग्रीव बिभीषण के आने का समाचार राम जी को देते हैं और कहते हैं कि लगता है हमारा भेद लेने आया है इसलिए इसे बांध कर रखते हैं । राम जी कहते हैं कि मित्र! कहते तो तुम ठीक हो परंतु मेरा प्रण तो शरणागत के भय को हर लेना है । जिसे करोड़ों ब्राह्मणों को मारने का दोष लगा हो , मेरी शरण में आने पर मैं उसे नहीं त्यागता हूँ ।जीव जब मेरे सम्मुख होता है तभी उसके अनेकों जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं ।
भगवान कहते हैं कि मेरे सन्मुख होने पर जीव के अनेकों जन्मों के पाप नष्ट होते हैं । हम भी अपने पापों को नष्ट करना चाहते हैं पर सन्मुख हुए बिना , इसीलिए हमारी स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है । जीवन पाप युक्त रहने पर जीवन में केवल कठिनाई ही कठिनाई रहती है । जीवन को सरल व आनंदमय बनाना चाहते हैं तो राम सन्मुख हो जाइए । अथ ! जय जय राम शरण, जय रघुनाथ शरण 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी लखनऊ

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