हिंदी सिर्फ भाषा नहीं अपितु एक संस्कार, व्यवहार और जीवन शैली- डॉ.दिनेश शर्मा

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हिंदी सिर्फ भाषा नहीं अपितु एक संस्कार, व्यवहार और जीवन शैली- डॉ.दिनेश शर्मा

ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डे

लखनऊ। बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ में हिंदी प्रकोष्ठ, राष्ट्रीय कैडेट कोर, संगीत क्लब और संगीत विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ‘हिंदी पखवाड़ा’ का उद्घाटन मंगलवार को किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर राज्यसभा सांसद एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा शामिल हुए।इसके अतिरिक्त मंच पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एन.एम.पी. वर्मा, सूचना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विद्यापीठ के संकायाध्यक्ष प्रो. एम. पी. सिंह, एन सी सी अधिकारी डॉ राज श्री एवं विश्वविद्यालय हिन्दी अधिकारी डॉ. शिवकुमार त्रिपाठी मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं बाबासाहेब की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। इसके पश्चात आयोजन समिति की ओर से मुख्य अतिथि एवं शिक्षकों को पुष्पगुच्छ एवं स्मृतिचिन्ह भेंट करके सम्मानित किया गया।संकायाध्यक्ष प्रो एम पी सिंह ने सभी के समक्ष स्वागत भाषण और प्रसंग परिचय प्रस्तुत किया। तत्पश्चात डॉ. शिव कुमार त्रिपाठी ने सभी को माननीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान का संदेश पढ़कर सुनाया एवं कार्यक्रम के उद्देश्य एवं रुपरेखा की जानकारी दी। विश्वविद्यालय में हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत दिनांक 17-30 सितंबर तक विभिन्न प्रतियोगिताओं एवं संगोष्ठियों का आयोजन किया जायेगा, जिसके विजेताओं को समापन सत्र के दौरान पुरस्कार राशि एवं प्रशस्ति पत्र के साथ सम्मानित किया जायेगा। मंच संचालन और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. राजश्री द्वारा किया गया।राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि भारत तेजी से प्रगति करने वाला वह राष्ट्र है, जो वैश्विक स्तर पर अपना स्थान बना रहा है। सांस्कृतिक दृष्टि से भी भारतीय इतिहास सदियों पुराना है। ऐसे में भाषा के पक्ष को ध्यान में रखते हुए हमें इसे पुनर्जीवित करने के लिए प्रयास करने‌ होंगे। साथ ही उन्होंने ‘निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल’ दोहे का जिक्र करते हुए हिन्दी भाषा को उन्नति का आधार बताया।कुलपति प्रो. एन.एम.पी. वर्मा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि हिन्दी भाषा भारतीयों के लिए महज एक भाषा नहीं बल्कि धरोहर है। दूसरी ओर आज वैश्वीकरण के दौर में ग्लोबल लैंग्वेज के पीछे भागते-भागते हमें अपनी मातृभाषा हिन्दी का महत्व नहीं भूलना चाहिए, क्योंकि हिन्दी हमारे इतिहास, संस्कृति और पहचान का अटूट हिस्सा है।प्रो. एम. पी. सिंह ने अपने विचार रखते हुए कहा कि हिन्दी पखवाड़ा भारत की सांस्कृतिक विविधता एवं एकता का उत्सव है। हमें सामंजस्यपूर्ण भारत का निर्माण करने हेतु हिन्दी भाषा का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि एकता एवं अखंडता ही हमारे देश की वास्तविक पहचान है।
मुख्य अतिथि द्वारा एन सी सी कैडेट्स सुहानी सिंह कुशवाहा, शिखा कुमारी, आयुषी सिंह और आस्था को राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ठ प्रदर्शन के लिए और विश्वविद्यालय का नाम रोशन करने के लिए मेडल पदक प्रदान किया गया।गायन प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल के सदस्यों डॉ श्रीकांत शुक्ला सदस्य उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी, डॉ आरती विभागाध्यक्ष सरस्वती संगीत अकादमी और सुप्रसिद्ध गायिका डॉ श्वेता वर्मा को भी विश्वविद्यालय की ओर से स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया।हिंदी पखवाड़ा के उद्घाटन के अवसर पर विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों, कर्मचारियों, अधिकारियों एवं शिक्षकों के लिए एकल गायन प्रतियोगिता एवं वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।समस्त कार्यक्रम के दौरान प्रॉक्टर प्रो. संजय कुमार, छात्र अधिष्ठाता प्रो बी एस भदौरिया, परीक्षा नियंत्रक प्रो. विक्रम सिंह यादव, वित्त अधिकारी डॉ. अजय कुमार मोहंती, संकायाध्यक्ष विधि अध्ययन स्कूल प्रो. प्रीति मिश्रा, प्रो बी सी यादव, प्रो सर्वेश सिंह, प्रो राम पाल गंगवार, प्रो रिपु सुदन सिंह, प्रो एम एल मीना, डॉ बबिता पांडे, डॉ रवि वर्मा, डॉ कुंवर सुरेंद्र बहादुर, डॉ जवाहर लाल जाट, विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण, गैर शिक्षण कर्मचारी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।

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