सामुदायिक शौचालय की देखरेख स्वयं सहायता समूह के द्वारा- संयुक्त निर्देशक

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गोरखपुर। स्वच्छ भारत मिशन को गांव-गांव में अमलीजामा पहनाने के लिए राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ने कमर कस ली है विकास भवन सभागार में संयुक्त निदेशक पंचायती राज एके सिंह संबंधित अधिकारियों डीडी पंचायत समरजीत यादव अपर डीपीआरओ राजेश कुमार सिंह पंचायती राज अधिकारी हिमांशु शेखर ठाकुर सहायक डीपीआरओ बच्चा सिंह सहित गोरखपुर जनपद के सभी एडीओ पंचायत के साथ बैठकर कहा कि गोरखपुर जनपद के 1294 गांवों में सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराया गया 1145 सामुदायिक शौचालय पूर्ण रूप से बनकर तैयार हैं जिनका जियो टैग किया जा चुका है 119 सामुदायिक शौचालय का निर्माण
चल रहा है जो इस माह के अंतिम सप्ताह में पूर्ण कर लिया जाएगा। गांवों के सामुदायिक शौचालयों में स्वच्छता के साथ उनके बेहतर रखरखाव और देखरेख के लिए अब प्रत्येक गांव में महिला स्वयं सहायता समूह की गरीब एक महिला को केयर टेकर के रूप में नियुक्ति किया जाएगा। जिससे उक्त महिला का जीवको पार्जन बेहतर तरीके से चल सके
गांव के सामुदायिक शौचालय के देखरेख के लिए नियुक्ति स्वयं सहायता समूह की महिला को इसके लिए छह हजार रुपये मासिक मानदेय भी प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा अतिरिक्त के रूप में तीन हजार रुपये शौचालय के रखरखाव में इस्तेमाल होने वाली सामग्री के उपयोग के लिए भी मिलेंगे।
गोरखपुर जनपद के 12094 ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया 1145 सामुदायिक शौचालयों का जियो टैग किया जा चुका है 119 सामुदायिक शौचालय का निर्माण चल रहा है इस महीने के अंतिम सप्ताह में पूर्ण कर लिया जाएगा सामुदायिक शौचालयों में पानी की उपलब्धता बनाए रखने के लिए रनिंग वाटर टैंकों का भी निर्माण कराया गया है
प्रदेश शासन ने सामुदायिक शौचालयों में स्वच्छता बनाए रखने और उनके रखरखाव का दायित्व राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में गठित महिला स्वयं सहायता समूह को दिया है। यह महिला स्वयं सहायता समूह हर गांव में एक महिला केयर टेकर की नियुक्ति भी करेगा।
इन्हीं महिला केयर टेकर के पास शौचालय का मेंटीनेंस का जिम्मा भी होगा। शासन ने जहां पर यह समूह गठित नहीं हैं, वहां की ग्राम पंचायत में सफाई कर्मी की नियुक्ति कर खुद देखरेख करने को कहा है। शौचालय की सफाई व्यवस्था बनाए रखने और रखरखाव के लिए ग्राम पंचायत हर माह तीन हजार रुपये भी महिला स्वयं सहायता समूह को अतिरिक्त के रूप में देगा। यह धनराशि 15वें वित्त आयोग से ग्राम पंचायतें खर्च करेंगी और दो किस्तों में प्रदान किया जाएगा। सामुदायिक शौचालयों का सिर्फ वही ग्रामीण इस्तेमाल कर सकेंगे जिनके घर शौचालय नहीं हैं। सामुदायिक शौचालय शुरू हो जाने से गांव के बाहर होने वाली गंदगी पर लगा लगना लाजमी हो जाएगा।

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