युवा अरुण कांत यादव के चेहरा पर भाजपा खेल सकती है बड़ा दाव

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युवा अरुण कांत यादव के चेहरा पर भाजपा खेल सकती है बड़ा दाव

रिपोर्ट नीतीश जायसवाल आज़मगढ़
आजमगढ़। मिशन यूपी के लिए राजनीतिक दल कमर कसकर मैदान में कूद चुके हैं। मतदाताओं को लुभाने के लिए एक के बाद एक दाव चले जा रहे है। पूर्वाचल में बीजेपी और सपा खुलकर आमने सामने आ गयी है। सपा ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से गठबंधन कर बीजेपी को बड़ा झटका दिया तो बीजेपी ने विश्वविद्यालय का नाम सुहेलदेव के नाम पर रखकर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की। अब बीजेपी एक और बड़ा दाव चलने जा रही है। पूर्वांचल में पार्टी विधायक अरूणकांत यादव को बड़ा यादव युवा चेहरे के रूप में इस्तेमाल करेगी। बीजेपी का यह दाव भी सपा की मुश्किल बढ़ाएगी। कारण कि अरूण पंचायत चुनाव में भी सपा को झटका दे चुके हैं।
बता दें अरूण कांत यादव आजमगढ़ में बीजेपी के एक मात्र विधायक है। अरूण के पिता बाहुबली रमाकांत यादव वर्ष 2019 में बीजेपी का दामन छोड़ कांग्रेस में गए और बाद में सपा में शामिल हो गए। रमाकांत यादव भी विधानसभा चुनाव लड़नेे के मूड में हैं। संभव है पार्टी उन्हेें निजामाबाद से मैदान में उतारे। बीजेपी के पास पूर्वांचल में बड़े यादव चेहरे की कमी है। योगी सरकार के मंत्री गिरीश यादव पार्टी के पास एक मजबूत यादव नेता हैं लेकिन जौनपुर के बाहर जनता में उनकी पैठ नहीं के बराबर है।
अरूण कांत यादव पहली बार सपा के टिकट पर विधायक चुने गये थे और दूसरी बार भाजपा के टिकट पर पुनः फूलपुर पवई विधानसभा से विधायक चुने गये।
रमाकांत के सपा में शामिल होने के बाद माना जा रहा था कि अरूण भी पिता के साथ जा सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वहीं पंचायत चुनाव में उन्होंने अपने छोटे भाई वरूणकांत को बीजेपी के टिकट पर पवई से ब्लाक प्रमुख का चुनाव लड़ाया। यहीं नहीं रमाकांत के विरोध के बाद भी वे उन्हें एकतरफा जीत दिलाने में सफल रहे।
अब विधानसभा चुनाव में फूूलपुर पवई से अरूण का टिकट पक्का माना जा रहा है। कारण कि गृहमंत्री के कार्यक्रम में अन्य नेताओं की अपेक्षा अरूणकांत को कुछ ज्यादा ही तरजीह दी गयी। गृहमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक ने अरूण को यादव किया। अब चर्चा इस बात की है कि पार्टी विधानसभा चुनाव में उन्हें यादवों के युवा चेहरे के रुप में इस्तेमाल करेगी। ऐेसा होने से सपा की टेंशन बढ़नी तय है। कारण कि कम से कम आजमगढ़ के युवा यादवोें में उनकी पैठ है। वहीं रमाकांत जो अच्छा जनाधार रखते हैं उनके सामने भी पुत्र के खिलाफ असमंजस की स्थिति होगी। कारण कि रमकांत और अरूणकांत के बीच मनमुटाव भी किसी से छिपा नहीं है और बाहुबली के प्रभाव को कम करने के लिए बीजेपी अरूण को तुरूप के पत्ते के रूप में प्रयोग करने का मन बना चुकी है।

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