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मुंबई- ब्यरो चीफ अमित कुमार पांडे
स्वबोध जागरण दीप, अटल बिहारी वाजपेई सभागृह, हनुमान नगर, कांदिवली पूर्व, मुंबई ।
मुंबई- स्वबोध जागरण दीप के तत्वावधान में “चतुर्थ स्वबोध कुंभ” के निमित्त आयोजित एक दिवसीय विश्वधर्म संदेश कार्यक्रम अटल बिहारी वाजपेई सभागृह हनुमान नगर कांदिवली पूर्व में , स्वबोध आश्रम, श्रीज्योतिर्धाम कोईराजपुर, हरहुआ, वाराणसी से पधारे प्रज्ञा पुरुष ऊँ श्री आनंद प्रभु एवं आश्रम की संचालिका उनकी शिष्या आचार्या डाॅक्टर सरोजिनी माँ के स्वबोध संदेश के साथ संपन्न हुआ ।
कार्यक्रम की शुरुआत स्वबोध जागरण दीप मुंबई के संरक्षक वरिष्ठ पत्रकार श्री राकेशमणि तिवारी के हाँथों हुये दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। प्रमुख अतिथि के तौर पर उपस्थित स्थानीय लोकप्रिय सांसद श्री गोपाल सेट्टी ने – ” कार्तिक कृष्ण पक्ष, नवमी तिथि , विक्रम संवत् 2080 , 28 अक्टूबर शनिवार 2023 से 7 नवम्बर मंगलवार 2023 तक आयोजित होने वाले ग्यारह दिवसीय “चतुर्थ स्वबोध कुंभ ” के लिये अपनी शुभकामनाएं देते हुये संरक्षक- वरिष्ठ पत्रकार श्री – राकेशमणि तिवारी , प्रबंधक – श्री- सुकूनराज ओ टाक, संयोजक- श्री विपिन सिंह एवम् निधि प्रमुख- श्री घनश्याम सिंह का पुष्पगुच्छ तथा शाल ओढ़ाकर स्वागत किया और भविष्य के लिए और अच्छा करने की शुभकामनाएं दी ।
कृणवन्तु विश्वमार्यम् के उद्घोष के साथ एकत्रित जन-समूह को संबोधित करते हुये प्रज्ञा पुरुष ऊँ श्री आनंद प्रभु ने अपने उद्बोधन में कहा कि – जीवन की अंतिम यात्रा की ओर अग्रसर वे यहाँ प्रवचन करने नहीं आये हैं , अपितु लोगों से मिलने के लिये उपस्थित हुये हैं । उन्होंने कहा कि – उनका लक्ष्य प्रत्येक मानव को पंथों के प्रपंच से बाहर निकाल कर धर्म के मूल स्वरूप का भान कराना है , जिसे प्राचीन पराद्रष्टा ऋषियों ने “सनातन” कहा है , जो सभी का धर्म है और स्वबोध आश्रम उसी का संवाहक है । आगामी चतुर्थ कुंभ के विषय में उद्गार व्यक्त करते है , उन्होंने कहा कि – उनका प्रयास पंथों का निषेध नहीं वरन् सारे पंथ जिस सनातन धर्म की सत्ता पर खड़े हैं , उनका लक्ष्य उन्हें उसके निज स्वरूप के प्रति जागृत करने , स्मृतिबोध कराने मात्र का है । आगे उन्होंने कहा कि – जैसे जीवन की नश्वरता तय है , उसी प्रकार मनुष्यों द्वारा बनाये गये सभी धर्मों का नाश भी निश्चित है , विश्व मानव समाज में बस एक ही धर्म शेष रहेगा जिसका आदि है न अंत और वह सनातन धर्म है और उनका लक्ष्य इस विश्व स्मृति का बोध कराना है । इस एक दिवसीय स्वबोध संदेश में मुम्बई एवं आस- पास से भारी संख्या में पधारे श्रद्धालुओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा कार्यक्रम को अविस्मरणीय बना दिया ।