अलीगढ़ : प्रशासन सख्त, अतरौलिया बोर्ड के नकल माफिया पस्त

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Administration strict, copying of Atraulia board mafia battered

कभी नकल के लिए बदनाम रहे अतरौली तहसील क्षेत्र में शासन-प्रशासन की सख्ती के कारण नकल माफिया के मंसूबे फेल हो गए हैं। सोमवार को यूपी बोर्ड की हाईस्कूल की परीक्षा के दौरान तीन परीक्षार्थियों को पकड़ा गया था। एक समय यहां पर परीक्षा देने के लिए गैर प्रांतों के छात्रों का जमावड़ा रहता था। गांवों में एक महीने तक कमरे किराये पर उठ जाते थे। इसके अलावा, निजी स्कूलों का आलम ये था कि साल भर उनमें या तो भूसा भरा रहता था या जानवर बंधा करते थे। मगर परीक्षा के दिनों में केंद्र बनने के कारण उनमें परीक्षाएं हुआ करती थीं। अगर जिले में कुल 300 परीक्षा केंद्र हैं तो अकेले अतरौली तहसील में 100 से अधिक परीक्षा केंद्र बनाए जाते थे।
हाल ही बलिया में पेपर आउट की घटना हो या दूसरे जिलों या अन्य तहसीलों में परीक्षा केंद्रों पर उपद्रव की घटनाएं हुईं। इसके बाद भी अधिकारियों का फोकस सिर्फ अतरौली पर ही रहता है। कारण यह कि अतरौली में स्कूलों की संख्या अधिक थी। यहां परीक्षा फॉर्म भी अधिक ही भरे जाते थे। एक दौर में लाखों परीक्षार्थी जब अतरौली में परीक्षा देने जाते तो गांव गुलजार हो जाया करते थे। वह वक्त वर्ष 2000 से 2012 के बीच का था। इस एक दशक के दौर में 3-3 लाख की संख्या में परीक्षार्थी यहां पहुंचते थे तो परीक्षा केंद्रों पर भीड़ रहती थी। गांवों में कमरे भी किराए पर उठते थे। एक महीने तक गांवों में परीक्षार्थियों का जमावड़ा लगा रहता था। परीक्षा केंद्रों की संख्या और परीक्षार्थियों की संख्या अधिक होने के कारण अधिकारियों का फोकस भी अतरौली पर रहता था। लेकिन ऐसा नहीं है कि नकल का खेल सिर्फ अतरौली में ही होता था। बाद में यह खेल जिले की दूसरी तहसीलों और दूसरे जिलों में भी शुरू हो गया। गोंडा, खैर, अकराबाद, इगलास आदि ब्लॉकों में परीक्षा के दौरान केंद्र पर उपद्रव की घटनाएं भी हुईं लेकिन अधिकारियों का फोकस अतरौली पर ही रहता था।

नकल माफिया का था भौकाल
नकल माफिया के भौकाल का आलम ये था कि अधिकारी नकल के खिलाफ छापा मारने या कार्रवाई से घबराया करते थे। नकल रोकने पर हुई कार्रवाई के विरोध में वे छात्रों को आगे कर उपद्रव कराया करते थे। एक मर्तबा तो माध्यमिक शिक्षा के अधिकारी को बंधक तक बना लिया। इसके बाद वहां चेकिंग करने से अधिकारी घबराने लगे। कभी किसी केंद्र पर टीम को भगाने, किसी पर पथराव करने की शिकायत हर वर्ष आया करती थी। मगर जिला विद्यालय निरीक्षक मुकेश अग्रवाल के कार्यकाल में हुई सख्ती के बाद यहां भीड़ छंटने लगी। बाहरी परीक्षार्थियों पर अंकुश लगा और अब परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी निगरानी ने तो नकल माफिया ध्वस्त कर दिए।
पेपरों की संख्या कम होने से नकल पर लगी रोक
अतरौली। एक तरफ नकल पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने तमाम जतन किए। यूपी बोर्ड में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में प्रत्येक विषय का एक पेपर होना और हाईस्कूल में ग्रेडिंग सिस्टम भी नकल रोकने में कारगर साबित हुई। ग्रेडिंग होने से दूसरे जिलों के छात्रों ने परीक्षा फॉर्म भरना बंद कर दिया। इसके बाद नकल का धंधा धीरे धीरे बंद होता चला गया, जो स्कूल कभी परीक्षा केंद्रों के समय गुलजार रहते थे, आज उनमें ताला लटका है या फिर कमरों में भूसा आदि भरा हुआ है।

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