पाकिस्तान में बदली सत्ता : जानिए भारत पर क्या असर पड़ेगा, कश्मीर पर क्या है नए प्रधानमंत्री की सोच?

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शहबाज शरीफ पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री बन चुके हैं। दूसरी तरफ इमरान खान के समर्थन में पाकिस्तान के कई शहरों में प्रदर्शन हो रहा है। इस्लामाबाद, कराची, पेशावर, मुल्तान, क्वेटा में इमरान विरोधियों के खिलाफ जबरदस्त नारेबाजी चल रही है।

इस बीच, सवाल ये भी उठने लगा है कि शहबाज शरीफ के प्रधानमंत्री बनने से भारत पर क्या असर पड़ेगा? भारत और कश्मीर को लेकर शहबाज की क्या सोच है? आइए जानते हैं…

इमरान सरकार गिरने के बाद शहबाज ने क्या कहा था? 
अविश्वास प्रस्ताव के जरिए इमरान खान की सरकार गिराने के बाद भी शहबाज ने भारत को लेकर बयान दिया था। कहा था, ‘हम भारत के साथ शांति चाहते हैं, लेकिन कश्मीर मुद्दे के हल के बिना ये संभव नहीं है।’

भारत के बारे में क्या सोचते हैं शहबाज?

शहबाज शरीफ
                               शहबाज शरीफ
शहबाज ने भारत और कश्मीर को लेकर कई बार विवादित बयान दिया है। अप्रैल 2018 में जब पाकिस्तान में चुनाव चल रहे थे, तब शहबाज ने एक रैली में कहा था, ‘हमारा खून खौल रहा है। कश्मीर को हम पाकिस्तान का हिस्सा बनाकर रहेंगे।’

उसी साल सिंगापुर में उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की मुलाकात पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था, ‘अगर अमेरिका और उत्तर कोरिया परमाणु हमले की कगार से वापस लौट सकते हैं तो ऐसा कोई कारण नहीं है कि भारत और पाकिस्तान ऐसा नहीं कर सकते।’

फरवरी 2014 में शरीफ ने कहा था, ‘भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार संबंधों के बीच सबसे बड़ा रोड़ा दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियां हैं। जब तक दोनों देशों के बीच आर्थिक सुरक्षा नहीं होगी, तब तक आम सुरक्षा संभव नहीं है।’

2015 में शरीफ ने कहा था कि भारत में कुछ कट्टरपंथी पाकिस्तान के साथ अच्छे रिश्ते नहीं चाहते हैं। तब शरीफ ने आरएसएस का नाम लिया था। शरीफ ने यह भी आरोप लगाया था कि भारत बलूचिस्तान में अलगाववादियों का समर्थन करता है। तब शरीफ ने यह भी कहा था कि दोनों देशों को ब्लेम गेम बंद करके रिश्ते सुधारने पर काम करना चाहिए।

मनमोहन सिंह के समय भारत के दौरे पर आए थे शहबाज

शहबाज शरीफ
                           शहबाज शरीफ
शहबाज शरीफ 2013 में भारत दौरे पर आए थे। उस वक्त मनमोहन सिंह भारत के प्रधानमंत्री थे। उस दौरान शहबाज पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री थे। प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद शहबाज ने साथ मिलकर काम करने की बात कही थी।

2017 में भी उन्होंने भारत के पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को एक चिट्ठी लिखी थी। इसमें उन्होंने पंजाब में धुंध की समस्या को उठाया था। कहा था कि दोनों देशों की पंजाब सरकार को मिलकर इसके लिए काम करना चाहिए।

भारत पर कुछ असर पड़ेगा?
विदेश मामलों के जानकार डॉ. प्रदीप कहते हैं, ‘इमरान खान के आने के बाद से भारत और पाकिस्तान के रिश्ते और भी तल्ख हो गए थे। शहबाज के आने के बाद कम से कम बातचीत का रास्ता खुल सकता है। हालांकि, दोनों देशों के रिश्तों पर कोई खास प्रभाव पड़ने की उम्मीद नहीं है।’

पाकिस्तान में अब तक क्या-क्या हुआ?

इमरान खान
                      इमरान खान
2018 में हुए आम चुनाव में इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने सबसे ज्यादा 149 सीटें जीती थीं। शहबाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग यानी पीएमएल-(एल) को 82 और बिलावल भुट्टो की पीपीपी को 54 सीटें मिलीं थीं। 342 सदस्यों वाली संसद में 172 बहुमत का आंकड़ा है। तब इमरान खान ने कुछ छोटी पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों की मदद से सरकार बना ली थी।

पिछले महीने ही विपक्षी पार्टियों पीएमएल-(एल), पीपीपी व अन्य छोटे दलों ने मिलकर इमरान सरकार के खिलाफ पाकिस्तानी संसद में अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया। इस पर तीन अप्रैल को वोटिंग होनी थी। तीन अप्रैल को डिप्टी स्पीकर ने अविश्वास प्रस्ताव को विदेशी साजिश का बताते हुए खारिज कर दिया। इमरान ने भी राष्ट्रपति से मिलकर संसद भंग करवा दी। उधर, विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। कोर्ट ने संसद बहाल कर वोटिंग का आदेश दिया।

नौ अप्रैल को पहले दिनभर स्पीकर और डिप्टी स्पीकर ने वोटिंग नहीं कराई। फिर विपक्ष ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो नाटकीय अंदाज में स्पीकर ने इस्तीफा दे दिया। देर रात नए स्पीकर ने वोटिंग कराई। इसमें इमरान के खिलाफ 174 सांसदों ने वोट डाला। अविश्वास प्रस्ताव में विपक्ष जीत गया और इमरान की सरकार गिर गई। विपक्ष की तरफ से शहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया था। आज उन्होंने कार्यभार संभाल लिया।

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