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एक अनुमान के मुताबिक दोनों बस अड्डों से दो लाख रुपये से अधिक की रेवड़ी बिक जाती है। इसमें कैसरबाग पर 1.50 लाख रुपये तो चारबाग पर 50 हजार रुपये की बिक्री शामिल है। अफसर रेवड़ी बेचने का दोनों बस अड्डे पर ठेका उठा ठेकेदार तय कर देते तो प्रति माह करीब 3.70 लाख रुपये का राजस्व मिलता। सूत्रों ने यह भी बताया कि ठेका उठता तो यह आय चार लाख रुपये से अधिक भी हो सकती थी।
आठ रुपये की रेवड़ी 15 में बेच रहे
मौका मुआयना करने पर पता चला कि कैसरबाग एवं चारबाग में 100 ग्राम वजन की रेवड़ी 15 रुपये में यात्रियों को बेची जाती है। इसे अवैध ठेकेदार लगभग 8 रुपये में खरीद कर लाते हैं। एक सेल्समैन ने बताया कि अवैध रूप से बस में रेवड़ी का एक पैकेट बेचने पर 2 रुपये का कमीशन मिलता है। सुबह से रात तक वह 500 पैकेट रेवड़ी के बेच लेता है।
कहां से कितनी आय
रोडवेज के अधिकृत ठेकेदार के जरिये जब चारबाग में रेवड़ी बेची जाती थी तो 1.20 लाख रुपये और कैसरबाग से 2.50 लाख रुपये प्रति माह आय हो रही थी। यह रेट करीब ढाई साल पुराना है। वैध ठेकेदार का ठेका लगभग ढाई साल पहले खत्म होने के बाद अवैध रूप से रेवड़ी बेची जाने लगी, जिससे रोडवेज को प्रति माह 3.70 लाख रुपये के राजस्व की चोट पहुंची।
कई बार हुआ ठेका उठाने का दिखावा
चहेते अवैध ठेकेदार रेवड़ी बेचते रहें और प्रशासनिक अफसर लोग न फंसे, इसके लिए ठेका उठाने का दिखावा कई बार हुआ। चारबाग एवं कैसरबाग के लिए अनगिनत बार टेंडर निकला। ठेकेदारों ने टेंडर भी डाले, लेकिन ठेका नहीं उठ सका। जबकि कई ठेकेदारों ने रेवड़ी बेचने का ठेका हथियाने के लिए बहुत ऊंचे-ऊंचे रेट भी दिए थे।
फैक्ट फाइल
रोजाना बिकी रेवड़ी 2.00 लाख
30 दिन में 60.00 लाख
एक साल में 7.20 करोड़
रोडवेज की होने वाली कमाई
प्रति माह 4.00 लाख
12 माह में 48.00 लाख
24 माह में 96.00 लाख
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक लखनऊ परिक्षेत्र पीके बोस का कहना है कि चारबाग बस अड्डे पर रेवड़ी बेचने वाले ठेकेदार को ठेका देने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। प्रशासनिक अनुमोदन के लिए मुख्यालय भेजा है। कैसरबाग का ठेका उठाने के लिए टेंडर प्रक्रिया चल रही है।