वाराणसी में एक ही सड़क पर दो विभागों ने जारी कर लिया बजट, आधा अधूरा काम कर आवंटित की धनराशि

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भदोही-वाराणसी मार्ग से सरौनी गांव तक जाने वाली सड़क की हालत

कागजी घोड़े दौड़ाने में माहिर जिला पंचायत और लोक निर्माण विभाग की कारस्तानी से वाराणसी में सरकारी धन का बड़े पैमाने पर बंदरबांट हो रहा है। भदोही-वाराणसी मार्ग से सरौनी गांव तक जाने वाली 2.6 किलोमीटर की एक ही सड़क को सुधारने के लिए जिला पंचायत और लोक निर्माण विभाग ने अलग-अलग टेंडर कर दिया।

इतना ही नहीं, पहले जिला पंचायत ने सड़क पर गिट्टी डालकर उसकी कुटाई की और अचानक काम बंद कर दिया। इसके बाद लोक निर्माण विभाग ने इस सड़क पर तारकोल का लेपन शुरू कर दिया है। बिना जांच जारी किए अलग-अलग टेंडर में ठेकेदारों को धनराशि भी आवंटित कर दी गई।

भदोही-वाराणसी मार्ग से सरौनी गांव की 2.6 किलोमीटर लंबी लिंक रोड के लिए जिला पंचायत ने 52.92 लाख रुपये का टेंडर जारी किया। इसी सड़क के 1.6 किलोमीटर हिस्से के नवीनीकरण के नाम पर लोक निर्माण विभाग ने भी 12 लाख रुपये का टेंडर जारी कर दिया।

दोनों विभागों के अवर अभियंताओं ने नहीं किया हस्तक्षेप

जिला पंचायत की ओर से तय फर्म की ओर से सड़क की खुदाई कर यहां गिट्टी डालकर कुटाई कराई गई। इस बीच ठेकेदार ने अचानक काम बंद दिया और 13 अप्रैल को लोक निर्माण विभाग ने छोटी गिट्टी और तारकोल से करीब 200 मीटर सड़क का लेपन करा दिया। दोनों विभागों के अवर अभियंताओं ने सूचना के बाद भी न तो मौके पर गए और न ही काम में किसी तरह का हस्तक्षेप किया।

सूत्रों की मानें तो एक ही सड़क के दो टेंडर के जरिए दोनों विभाग के अभियंता बड़ा गोलमाल कर ठेकेदारों के माध्यम से सरकारी धन का बंदरबांट की तैयारी में थे। अमर उजाला की पड़ताल के बाद दोनों विभाग अब एक दूसरे पर गड़बड़ी का आरोप लगा रहे हैं।

जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने कहा कि  एक ही सड़क के दो अलग-अलग विभागों के टेंडर के गंभीर मामले में एसडीएम राजातालाब की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है। दोनों विभागों के प्रपत्रों की जांच कर कार्रवाई की जाएगी। इसमें सरकारी राजस्व का दुरुपयोग करने वाले विभाग व उसके अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। सरकारी धन की भी वसूली कराई जाएगी।

बिना एनओसी मंडी समिति की सड़क पर कैसे काम
सरकारी नियमों के अनुसार मंडी परिषद सहित किसी भी सड़क के निर्माण से पहले जिला पंचायत को लोक निर्माण विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य है। मगर, इस सड़क के लिए एनओसी तक नहीं ली गई।

उधर, लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता राघवेंद्र सिंह का दावा है कि तत्कालीन विधायक की सिफारिश पर शासन से इस सड़क को लोक निर्माण विभाग के लिए यूनिकोड एलाट किया गया है। उधर, जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी अनिल सिंह का कहना है कि पहले टेंडर हमने किया था और लोक निर्माण विभाग को इस सड़क पर अधिकार नहीं है। इस गड़बड़ी के लिए शासन को भी अवगत कराया जाएगा।

मौके पर नहीं था टेंडर का सूचना पट
सरकारी नियमों के अनुसार किसी भी परियोजना पर काम शुरू करने से पहले कार्यस्थल पर सूचना पट लगाया जाना अनिवार्य है। ताकि इसमें काम की लागत, कार्यदायी संस्था, शुरू और पूरा होने का समय सहित अन्य विवरण अंकित करना होता है। मगर, काम शुरू करने के बाद भी दोनों विभागों की ओर से सूचना पट नहीं लगाया।

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