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आमतौर पर दवाओं के दाम में एक से दो फीसदी ही बढ़ोतरी होती रही है, लेकिन इस बार 12 फीसदी तक दवाओं के दाम बढ़ाए गए हैं। नए बैच की दवाएं आते ही मरीजों पर अतिरिक्त भार पड़ने लगा है। डायबिटीज, हृदय, आर्थराइटिस सहित कई ऐसी बीमारियां हैं जिनमें नियमित दवा चलती हैं। इनमें हृदय रोगियों की संख्या ज्यादा है। जानकारों के मुताबिक सरकारी संस्थानों में पूरे प्रदेश से रोजाना करीब तीन हजार हृदयरोगी ओपीडी में आते हैं। दवा कारोबारियों के अनुसार हृदय रोग, मधुमेह, ब्लड प्रेशर के अलावा बुखार, संक्रमण, किडनी, टीबी, न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से जुड़ी करीब 376 दवाओं के दाम बढ़े हैं।
लखनऊ में रोजाना 30 करोड़ का कारोबार
लखनऊ में करीब एक हजार थोक की दुकानें हैं, जिन्होंने विभिन्न दवा कंपनियों की एजेंसी ले रखी है। गोदाम से सीधे इन एजेंसियों के माध्यम से दवाओं की सप्लाई होती है। अलग-अलग जोन में भी थोक कारोबारी सीधे दुकानदारों को दवाओं की आपूर्ति करते हैं। पूरे प्रदेश में रोजाना करीब 70 से 80 करोड़ का कारोबार होता है। इसमें से सिर्फ लखनऊ में ही रोजाना करीब 30 करोड़ का कारोबार होता है।
दवा कारोबारियों का कहना है कि हर साल दवाओं का बैच नंबर बदलने पर उनके मूल्य भी बढ़ जाते हैं। इस साल भी कुछ दवाओं के मूल्य बढ़े हैं। दवाओं पर प्रिंट मूल्य से करीब 25 से 30 फीसदी सस्ती दर पर कंपनी थोक कारोबारियों को आपूर्ति करती है। फिर यहां से फुटकर तक कमीशन तय होता रहता है। मरीज को प्रिंट मूल्य से अधिक दर पर दवा नहीं दी जा सकती है। ऐसे में फुटकर दुकानदार कंपनियों की दवा के अनुसार अपने स्तर पर छूट देते हैं।