मथुरा की अदालत में लॉ छात्राओं की याचिका पर सुनवाई, वादी पक्ष से मांगे और साक्ष्य

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श्रीकृष्ण जन्मस्थान प्रकरण

मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह प्रकरण में लॉ की छात्राओं द्वारा दायर प्रार्थनापत्र पर बुधवार को एडीजे कोर्ट में सुनवाई हुई। जिला जज की अदालत में अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह और विधि की छात्राओं ने प्रार्थना पत्र देकर शाही ईदगाह को हटाने और कमीशन गठित करने की मांग की थी। जिला जज ने एडीजे को सुनवाई के लिए भेज दिया था। बुधवार को सुनवाई के दौरान वादी पक्ष से कोर्ट ने और साक्ष्य मांगे हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 31 मई तय की गई है।

13.37 एकड़ जमीन पर किया है दावा

सात छात्राओें सहित दिल्ली-लखनऊ हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं ने अदालत में याचिका दायर कर 13.37 एकड़ जमीन पर दावा किया है। यह दावा विधि छात्रा उपासना सिंह, अनुष्का सिंह, नीलम सिंह  साधना सिंह, अंकिता सिंह, डॉ. शंकुतला मिश्रा (लखनऊ विश्वविद्यालय), दिव्या निरंजन (आईसीएएफएआई देहरादून) के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के अधिवक्ता अंकित तिवारी एडवोकेट, वरुण कुमार मिश्रा, शैलेंद्र सिंह, दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता रंजन कमार रॉय ने किया है।

कोर्ट ने केस से संबंधित और साक्ष्य मांगे

विधि छात्राओं और अधिवक्ताओं ने सीपीसी के सेक्शन 92 को आधार मानते हुए यह दावा पेश किया है। इस पर एडीजे की अदालत में सुनवाई हुई। न्यायाधीश ने वादी पक्ष से जमीन के मालिकाना हक संबंधी और दस्तावेज मांगे हैं। बता दें कि सेक्शन 92 में दावाकर्ताओं ने सभी हिंदू समाज की ओर से प्रार्थना पत्र दिया है। सेक्शन 92 के तहत दो या दो से अधिक लोगों द्वारा एक मत होकर संस्थान के साथ हुए गलत को जनहित में सही करने के लिए दावा किया जा सकता है।

भगवान श्रीकृष्ण विराजमान के केस पर सुनवाई कल 

श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह विवाद के मामले में वादी भगवान श्रीकृष्ण विराजमान के केस में गुरुवार को सुनवाई होगी। बता दें कि भगवान श्रीकृष्ण विराजमान को वादी बनाकर सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने 25 सितंबर 2020 को 13.37 एकड़ जमीन पर दावा पेश किया था, जिसमें उन्होंने वर्ष 1973 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट और शाही ईदगाह के बीच हुए समझौते को गलत बताकर इसकी डिक्री को रद्द करने की मांग की है। दो साल बाद अदालत ने इस केस को सुनवाई योग्य मानते हुए दर्ज कर लिया।

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