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भारत के पूर्व तेज गेंदबाज आशीष नेहरा हंसी-मजाक के लिए जाने जाते हैं। उनके साथ खेल चुके वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह और युवराज सिंह ने हमेशा नेहरा के बारे में एक बात कही है कि वो कभी भी दबाव में नहीं आते। हमेशा हंसी-मजाक करते रहते हैं। शायद इसी कारण रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर सहित कई फ्रेंचाइजियों ने उन्हें अपनी टीम का मुख्य कोच नहीं बनाया। नई फ्रेंचाइजी गुजरात टाइटंस ने नेहरा पर भरोसा जताया और गैरी कर्स्टन के टीम से जुड़ने के बावजूद उन्हें मुख्य कोच बनाया। मीडिया में कुछ दिनों पहले यह खबर सामने आई थी कि नेहरा ने आरसीबी द्वारा हटाए जाने के बाद किसी टीम से जुड़ने के लिए एक शर्त रखी थी। वो मुख्य कोच के तौर पर भी किसी टीम से जुड़ना चाहते थे। आरसीबी ने उन्हें 2018 में गेंदबाजी कोच बनाया था। वो टीम के साथ 2019 में भी रहे। नेहरा ने आरसीबी के बारे में कहा था- टीम विराट कोहली और एबी डिविलियर्स पर ज्यादा निर्भर है। हर बार पूरी टीम बदलने से फायदा नहीं होगा। नेहरा और आरसीबी मैनेजमेंट में मनमुटाव की खबरें आई थीं। इस पर किसी को विश्वास नहीं हुआ था।
नीलामी के बाद हुई थी नेहरा की आलोचना
आईपीएल नीलामी के बाद आशीष नेहरा की जमकर आलोचना हुई। कहा गया कि अनुभव की कमी के कारण वो एक बेहतरीन टीम नहीं बना सके। उन्होंने ऐसे कई खिलाड़ियों को टीम में शामिल किया जो अपनी राष्ट्रीय टीम से भी बाहर हो चुके हैं। कुछ ऐसे युवा थे जिन्हें कम ही लोग जानते थे। यह भी कहा गया कि चार-पांच खिलाड़ियों के दम पर कैसे गुजरात की टीम आईपीएल में बेहतर प्रदर्शन कर पाएगी।
खिलाड़ियों को किया एकजुट
आशीष नेहरा ने इन सवालों को नजरअंदाज किया। उन्होंने खिलाड़ियों को एकजुट किया और ऐसा मंत्र दिया कि टीम चैंपियन बन गई। गुजरात की टीम किसी एक खिलाड़ी के बदौलत नहीं, बल्कि सभी खिलाड़ियों के योगदान से टूर्नामेंट जीती। कप्तान हार्दिक पांड्या ने भी चैंपियन बनने के बाद कहा कि टीम ने यह बता दिया कि एकजुट होकर किसी भी टूर्नामेंट को जीत सकते हैं।