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सपा में आजम खां का जलवा बरकरार है। राज्यसभा के बाद विधान परिषद सदस्यों के चयन में भी उनका पलड़ा भारी दिखा। उनके लिए पार्टी हाईकमान ने गठबंधन को भी दरकिनार करने में गुरेज नहीं किया। एमएलसी चुनाव में 50 फीसदी हिस्सेदारी मुस्लिमों को दी है। इसके जरिए विधानसभा चुनाव के दौरान दिखाई गई एकजुटता का अहसान चुकाया गया है और यह संदेश भी दिया कि अल्पसंख्यक समुदाय का हित सपा के साथ है।सपा ने रालोद के जयंत चौधरी, कपिल सिब्बल और जावेद अली को राज्यसभा भेजा है। कपिल सिब्बल का नाम आजम खां की पैरवी को लेकर जोड़ा जा रहा है तो जावेद अली को अल्पसंख्यक समुदाय की नुमाइंदगी के तौर पर देखा जा रहा है। विधान परिषद सदस्यों के चयन को लेकर कई चरणों में मंथन चला। चार सदस्यों में सबसे पहले स्वामी प्रसाद मौर्य का नाम तय हुआ।फाजिल नगर से विधानसभा चुनाव हारने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य के जरिए पिछड़े वर्ग को साधा गया है। क्योंकि कई चहेतों को टिकट दिलवाने में असफल होने पर स्वामी प्रसाद मौर्य नाराज थे। वहीं, यह संदेश देने की कोशिश है कि पार्टी में पिछड़ों के हितों की अनदेखी नहीं होगी। दूसरे उम्मीदवार करहल से पूर्व विधायक सोबरन सिंह के बेटे मुकुल यादव हैं। अन्य दोनों उम्मीदवारों के नामों पर कई दिनों तक मशक्कत चली।