श्रृंगार गौरी प्रकरण में सुनवाई अब 12 जुलाई को, जिला जज की अदालत में मुस्लिम पक्ष ने पेश की दलीलें

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वाराणसी के ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी  के नियमित दर्शन और अन्य देव विग्रहों को संरक्षित करने के मामले में ग्रीष्मावकाश के बाद सोमवार को सुनवाई हुई। राखी सिंह समेत पांच महिलाओं की तरफ से दाखिल वाद पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सुनवाई हुई। इसमें आज मुस्लिम पक्ष ने अपनी दलीलें रखीं। इसके बाद अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 12 जुलाई तय कर दी।

अदालत में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ऑर्डर 7 रूल 11 के  तहत वाद सुनवाई योग्य है या नहीं पर बहस हो रही है। आज मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से अधिवक्ता अभय यादव ने कोर्ट में दलीलें दीं। वो अगली तारीख पर वाद के खारिज होने के आधार को स्पष्ट करेंगे। इससे पहले सुनवाई के लिए न्यायालय कक्ष में केवल वादी-प्रतिवादी व अधिवक्ताओं को ही प्रवेश दिया गया। कोर्टट परिसर में काफी संख्या में फोर्स तैनात कर दी गई थी। प्रवेश द्वार पर भी चौकसी बढ़ा दी गई थी।

इधर, हिंदू पक्षकारो में से एक राखी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन और विष्णु जैन को हटा दिया है। मानबहादुर सिंह, शिवम गौड़ और अनुपम द्विवेदी केस लड़ेंगे। इस संबंध में राखी सिंह की ओर से कोर्ट में वकालतनामा दाखिल किया गया। सोमवार को सुनवाई से पहले राखी सिंह के पैरोकार जितेंद्र सिंह बिसेन ने हरिशंकर जैन और विष्णु जैन पर कई आरोप भी लगाए थे।

 

ग्रीष्मावकाश के बाद आज से शुरू हुई सुनवाई

दिल्ली की राखी सिंह व वाराणसी की लक्ष्मी देवी, सीता शहू, मंजू व्यास व रेखा पाठक की ओर से दायर याचिका पर सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने ज्ञानवापी परिसर में सर्वे और वहां वजूखाने में दावे वाले शिवलिंग को सील करने का आदेश दिया था। अंजुमन इंतजामिया ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस पूरे मामले की पोषणीयता पर सुनवाई सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत से जिला जज की अदालत में मामला ट्रांसफर कर दिया गया था। जिला जज की अदालत में 26 मई से 30 मई तक सुनवाई चली थी। ग्रीष्मावकाश के चलते सुनवाई चार जुलाई तक टल गई थी। 30 मई के बाद इस मामले में आज सुनवाई हुई। 30 मई को भी मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखा था।

इससे पहले मसाजिद कमेटी के अधिवक्ताओं ने दलील दी थी कि विशेष धर्म उपासना स्थल विधेयक 1991 यहां लागू होगा, जिसमें आजादी के समय धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी, वही रहेगी। जबकि हिंदू पक्ष की दलील है कि यहां विशेष धार्मिक उपासना स्थल काननू लागू नहीं होगा, क्योंकि यहां आजादी के बाद भी श्रृंगार गौरी की पूजा होती थी।

अंजुमन इंतजामिया के अधिवक्ता अभय नाथ यादव वाद की पोषणीयता पर सवाल उठाते हुए आपत्ति में दर्शाए गए 52 में से 39 बिंदुओं पर अपनी दलीलें पेश कर चुके हैं। उनकी दलील अभी जारी है। 12 जुलाई को अब सुनवाई होगी। इस दिन ये हो सकता है कि हिंदू पक्ष की ओर से दायर मामला सुनवाई योग्य है या नहीं।

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